Thê Âlphâ 🐺   (#Ww (HemantMishra))
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Joined 20 September 2018


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Joined 20 September 2018
25 DEC 2021 AT 3:19

कभी कभी खयाल आता है कि मैं कौन हूं? क्या हूं?
क्या वजूद है मेरा? बस एक बोझ हूं...
कभी कभी सोचता हूं जो भी लोग मेरी ज़िंदगी में आए और फिर दूर हो गए (वजह जो कोई भी रही हो)
मुझसे दूर हो जाने का उनका निर्णय... उनकी ज़िंदगी के बहतरीन निर्णयों में से एक था...(रहा होगा)
मैं शायद लायक हूं भी नहीं किसी के...
फिलहाल तो बिल्कुल नहीं...
कभी हो भी पाऊंगा... या नहीं... ये कह पाना मुश्किल है...
जिसे ख़ुद अपनी ज़िंदगी का पता नहीं...
वो दूसरों की ज़िंदगी क्या संवारेगा...

ख़ैर... ये बेवजह के खयाल... अकसर ज़हन में आ ही जाते हैं... इनका कोई तोड़ नहीं... ये लाइलाज़ है...

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26 NOV 2021 AT 10:08

ये दर्द-ओ-गम भुलाने को
अब रखा क्या है पाने को
जो अपने थे वो रूठ गए
जो सपने थे वो टूट गए
ये पागल दिल बहलाने को
अब रखा क्या है पाने को...

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30 AUG 2021 AT 20:42

खिलौना...
(In Caption...)

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10 JUL 2021 AT 16:10

She left and I became something I never was... A Beast...
Then you came and I lost that Beast (inside me) somewhere in the middle of the way...
Though I miss that old me sometimes...
I even tried to become like that again but I couldn't...
I wonder how a person can change you and make you something you never thought you can be...
N sometimes it makes me feel like Magic really exists...
In You... In Me... In everything we're surrounded with...

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16 MAY 2021 AT 10:42

Basically... Life is nothing but a slow death.
And actually... we're not living...
We're just dying a little bit with each passing day.

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30 APR 2021 AT 20:33

दरअसल... कुछ पाने की चाह में हम इतना खो जाते हैं के हम ये नहीं देख पाते कि हमारे सामने क्या है...
और जब हम वो सब, जिसके पीछे हम भाग रहे थे (बंगला, गाड़ी, पैसे इत्यादि), पा लेते हैं...
तब हमें एहसास होता है के हम कितने अकेले हैं... कोई नहीं है हमारे पास जिसके साथ बैठ कर सुख दुख बांट सकें...
तब हमें एहसास होता है... हमने क्या खो दिया है...
तब हमें एहसास होता है...के जो कुछ खुशी खुशी जीवन बिताने के लिए पर्याप्त था...
जिसे बस हम दो कदम और बढ़ा कर पा सकते थे... उसे तो हम पीछे... बहुत पीछे छोड़ आए हैं...
अब हम चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते... अफ़सोस के सिवा...
ज़िंदगी में सबसे ज़रूरी होता है प्यार, परिवार, दोस्त... और वो सब लोग जो सुख दुख में हमारा साथ देते हैं...
मगर हम पैसा बंटोरने में इतना मशगूल हो जाते हैं के हम रिश्तों को भूल जाते है...
फिर एक दिन हमारे पास... पैसा, बंगला, गाड़ी सब कुछ तो होता है...
मगर साथ देने वाला कोई नहीं होता...
पैसा सुविधाएं तो दे सकता है... मगर एहसास नहीं...
पिज्जा की जगह रूखी सूखी रोटी खा कर पेट भरा जा सकता है...
मर्सिडीज की जगह अल्टो में घूमा जा सकता है...
बड़े बंगले की जगह छोटे से घर में रहा जा सकता है...
मगर अकेलेपन का ना कोई विकल्प होता है... ना ही कोई इलाज़...

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16 APR 2021 AT 20:38

और एक दिन वो तमाम बातें, जो तुम मुझसे कहना चाहती हो, तुम्हारे जहन में ही रह जायेंगी...
तुम्हें अफसोस होगा... मुझसे आखरी बार बात न करने का...
मुझे अपने दिल का हाल नहीं सुना पाने का...
तुम्हें अफसोस होगा अपने जज़्बात जाहिर नहीं कर पाने का...
और ये नहीं बता पाने का कि तुम मुझे कितना चाहती हो...
तुम्हें दुःख होगा... ये सोच कर कि आख़री बार कब तुमने मुझ पर अपना हक़ जताया था...
आखरी बार कब तुमने मुझ पर प्यार जताया था...
कब तुमने एक प्रेमिका की तरह प्यार से मुझसे बातें की थी...
तुम तरसती रह जाओगी, मेरे होंठों को अपने होंठों पर महसूस करने के लिए...
तुम तड़पोगी, मेरे सीने पर अपना सर रख कर मेरी धड़कनों को सुनने के लिए...
मगर तुम्हारी ये बेताबी लाइलाज होगी...
तुम जितनी बातों पर अपना गुस्सा और नफ़रत ज़ाहिर कर देती हो...
उतनी ही दफा यदि प्यार जताती तो शायद आज बात कुछ और होती...
तुम्हें ख़ुद से नफ़रत होने लगेगी... ये सोचकर कि क्यों तुमने मुझे नजरंदाज किया... जब मैं बेचैन था तुमसे बातें करने के लिए...
तुम्हें थोड़ा सा वक्त देना चाहिए था मुझे...
मगर अब क्या फायदा...
अब तो मैं दूर जा चुका हूं...
बहुत दूर...
तुम्हारा इंतज़ार करते करते... मैं ख़ुद से भी परे जा निकला हूं...
और मैं अब लौटकर तुम्हारे पास नहीं आऊंगा...
क्योंकि तुम्हें मालूम है... एक बार जाने के बाद मैं पलटकर नहीं देखता...

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3 APR 2021 AT 17:34

सिमट कर रह गया मेरा प्यार भी चंद अल्फाज़ में...
मैं चाहकर भी उसके दिल में उतर न सका...
प्यार तो किया उसने टूटकर मुझे...
मगर मेरी बेपनाह मोहब्बत को वो शायद समझ न सका...
मैं चाहकर भी उसके दिल में उतर न सका...

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7 MAR 2021 AT 13:04

कितना है बेचैन तेरे बिन ये कैसे समझाऊं...
हाल ए दिल मेरा अब तुम्हें कैसे बतलाऊं...
राहत सी मिलती है तुम्हें रूबरू पा कर...
बैठा कर सामने बस तुम्हें देखता ही जाऊं...
जो तुझे उदास करे वो जीत नामंजूर है मुझको...
तेरी एक मुस्कान के खातिर मैं सौ दफा हार जाऊं...

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2 MAR 2021 AT 11:13

रोज़... थोड़ा-थोड़ा... टुकड़ों में मरते-मरते एक अरसा हो गया...
अभी जीना शुरू भी नहीं किया...
और ये ज़िंदगी है के आधी गुजर गई...।

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