मैं मरघट की संन्यासी हूँ
मैं जीवन हूँ, मैं मृत्यु भी हूँ
ना मोह जगत में व्यापी है
न किन्चित मिथ्या ज्ञापी हूँ
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अनादि, द्वंद्वरहित, रौद्र रूपम
प्रतिरुप , संहारक ,श्मशानवासी
वेदों शिवम् शिवों वेदम🙏🌿🌼-
"गजल"
यह दौलतो और शोहरतो की झूठी शान है
यह जिंदगी सिर्फ चार दिन की मेहमान है
बन जाता है कोई अजनबी भी अपना
कोई अपना बनकर भी रहता अनजान है
यह जिंदगी सिर्फ चार दिन की.......
मिलता है सबको यहां किस्मत का लिखा
कोई कर्मो से बन जाता यहां महान है
बिक जाते कुछ लोग गुलाबी नोट पर
कुछ के लिए यह नोट भी कागजी दुकान है
यह जिंदगी सिर्फ चार दिन की........
सूरज गर देगा हमे आग सी गर्मी
तो एक आसमाँ में चमकता शीतल चाँद है
बिछड़ कर भी अपने अल्फाज़ो में अमर रहेंगे
यही एक अदत शायर का आख़री मुकाम है
यह जिंदगी सिर्फ चार दिन की.....— % &-
ऐ मालिक,
नियत ऐसी दे कि
खुली तिजोरी देख के भी ना बदले
शिफ़त ऐसी दे कि
गिर-गिर के भी सम्भल लें
बरकत ऐसी दे कि
कोई प्यासा न लौटे मेरे घर से
मुहब्बत ऐसी दे कि
कभी निराश न जाऊं तेरे दर से
यकीं इतना दे कि
हारते-हारते भी जीत जाऊं
जमीं इतना दे कि
हक से मैं खाऊं-खिलाऊं
हौसला इतना दे कि
ऊँचें आसमान में उड़ पाऊं
नरमी इतना दे कि
जहां के गम समेट पाऊं
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ಅನುದಿನವೂ ಪ್ರತಿಕ್ಷಣವೂ
ನೀ ಕಾಯುತಿರಲು
ಶಿವನೆ ನನಗಿಲ್ಲ ಚಿಂತೆಯೂ
ಹರ ಹರ ಮಹಾದೇವನೆ!
ಅನವರತ ನಿನ್ನದೆ ಧ್ಯಾನ
ಪ್ರತಿಕ್ಷಣವೂ ನಿನ್ನದೆ ಜಪವೂ
ನೀನೇ ನನಗೆಲ್ಲಾ
ನಿನ್ನ ಹೊರತು ನನಗಾರಿಲ್ಲ
ಓಂ ನಮೋ ಶಿವಾಯನೇ!
ಅನುಕ್ಷಣವೂ ಕಾದಿರುವೆ
ನಿನಗಾಗಿ ಕೊರಗುತಿರುವೆ
ನಿನ್ನೊಲುಮೆಯೊಂದಿರೆ ಸಾಕೆನಗೆ
ನಿನ್ನ ಕೃಪೆಗಾಗಿ ಕಾಯುತಿರುವೆ
ಕೈ ಹಿಡಿದು ಕಾಪಾಡೆನ್ನ
ಶಿವಶಂಕರನೇ!-