QUOTES ON #YQHINDIPOETRY

#yqhindipoetry quotes

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1 JUL 2020 AT 16:15

मन का आँगन ,लीपे बैठी हूँ
देहरी पर दीप जलाए बैठी हूँ।

उम्मीद वाली जुगनुओं को
आँखों में सजाए बैठी हूँ।

उमस भरे दिवस के अवसान पर
बावली हवाओं को संभाले बैठी हूँ।

नेह सागर से कितने ही
यादों के सीप बटोरे बैठी हूँ।

आ जाओ अब कि मरु में
गुलमोहर,अमलतास के रंग लिए बैठी हूँ।
©Anupama Jha



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हिंदी जन-जन की भाषा है 🙏🙏

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31 MAY 2019 AT 11:53

जब-जब
हुआ है
खिलवाड़
तब-तब
काल बनी है
प्रकृति हो या स्त्री...

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12 MAY 2019 AT 12:45

छठा तत्व

आदिकाल के
सबसे बुद्धिमान लोगों ने
झोंक दिया सारा ज्ञान
और पंहुचे सार पर
कि विलय है शरीर
पंच तत्वों का
आखिर कैसे भूल गये वो
छठे सबसे ज़रूरी तत्व को
मां !

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5 AUG 2020 AT 17:07

तू बन लिबास कभी रूह का मेरी
मैं उतार के अपना बदन रख दूँ
"Raag "

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13 APR 2019 AT 12:54

ओस की बूंदों से
कह रहा है वो
श्रृंगार हो तुम
इन नर्म मुलायम घासों का
इन फूलों की कलियों का
बारिश की बूंदों से
कह रहा है वो
तुम भी श्रृंगार हो
इन शांत बहती नदियों का
इन ऊंचे ऊंचे पहाड़ों का
आंखों के बूंदों से
पूछ रहा है वो
क्या तुम भी श्रृंगार हो?
मेरी भावहीन आंखों का
पूछ रहा है वो
क्यों कुरूप कर देती हो मुझे
जब जब तुम आंखों में होती हो
क्यों तुम भिन्न हो
बारिश की बुदों से
उन ओस की बुदों से।
क्या तुम नहीं बन सकती?
मेरी आंखों का श्रृंगार
पूछ रहा है वो।

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19 SEP 2020 AT 20:24

चल रहा प्रचंड है, आज के बिसात पे।।
दिख रहा अखंड है, सौभाग्य के क़िताब से।।
क्यों करे घमंड है, समय के विकास पे।।
ले चलो समस्त को, उत्कर्ष के अमिय पे।।
बदल रहा प्रारब्ध है, दीवार सी उद्विग्न पे।।
हुए लहू-लुहान हैं, राह की दुसाध्य से।।
भुगतना कोहराम है, उज्र की आवाज़ से।।
दिख रहा भविष्य है, संघर्ष की समग्र से।।
चल रहा प्रचंड है..............

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16 JUN 2020 AT 14:03

जबसे चखा है तेरा इश्क़ जानाँ
मेरी रूह भी तेरी जूठन हो गई..
"Raag "

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29 SEP 2020 AT 23:42


हैं सपने जी जान लगाऊ,
आसमान सी उड़ान लगाऊँ।।
बन पौधों की हरियाली सी,
ज़न नैनों की तृप्ति पाऊँ।।
मरूस्थल में नीर टोहने,
खुद से खुद की दौड़ लगाऊँ।।
सध जाऊँ मैं उन बाणों सी,
कुरुक्षेत्र में तोय बहाऊं।।
ना टूटूं मैं चट्टानों सी,
कुछ ऐसा विश्वास जगाऊँ।।
बन खेतों के हलधर सी,
मैं बस अपनी जीत उगाऊं।।

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4 AUG 2020 AT 23:33

ज़िन्दगी का किरदार निभाया नहीं जाता,
अब हाल-ए-ज़िन्दगी बताया नहीं जाता!!

सबब है ज़िन्दगी इसीलिए ही चल रही है,
अब हर बार रोकर मुस्कुराया नहीं जाता!!

दरमियाँ थी जिस रिश्ते में बहुत,
अब फासलों से हाथ मिलाया नहीं जाता!!

दरिया की गहराई में गया है ये मन ,
अब उल्फतों से वास्ता मिटाया नहीं जाता!!

सच की डोर बहुत नाजुक सी लगती है
अब झूठों से रिश्ता निभाया नहीं जाता!!

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