दुनिया की इस भीड़ में, “दो” का संजोग भी बडा अजीब है।
एक अपनी गरीबी को छिपाता हैं, दुसरा अपनी अमीरी दुनिया की भीड़ में पेश करता है।
कितना अजीब खेल है इस दुनिया का , पैसा अमीरी को परिभाषित करता है , गरीबी को कोई पुछता नहीं है, बस कोसता रहता है गरीब अपनी गरीबी को ।अमीर ऊँची-ऊँची इमारतो का राजा ,अपने को भौरो से ऊँचा दिखाता है ।
परंतु राजा झोपडपटिृयों का वो गरीब सबको अपने प्यार से जीत लेता है।
सभी संसाधनों से युक्त अमीर अपनी ही मस्ती में जीवन जीता है । ना दुनिया से रिश्ते ना कोई लगाव बस पैसो का खुमार उसको अपने घमंड रुपी समुद्र में डूबा देता है।
वही गरीब बेचारा एक-एक पैसे का मोहताज , उसके पास ना कौडी ना कोई आशियाना बस अपने प्यार और स्नेह से दुनिया के दिलो पर राज करता है...! ❤-
एक सवाल सोचता हूँ कभी, कि ज़िन्दगी में क्या कमीं है?
तो जवाब के रूप में दिल में शब्दों का अम्बार, और आँखों में नमीं है।
(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े)-
कविता नं. 22
भाग 2
।।। अमीर और गरीब में ।।।
अमीर और गरीब में
बस फर्क है इतना
गरीब तो गरीब है
उसका क्या होगा हाल
महगाई की वजह से तो
गरीब का जीना हुआ बेहाल
खाने पीने की तो पूछो मत
जब धरती ही उसका बिस्तर है होता
अमीर पथ पर अग्रसर है
गरीब और गरीब हो चला
अमीर और गरीब में
बस फर्क है इतना ।
यदि किसी अमीर की
चीर जाये कभी जो ऊंगली
कर देते जमीन आसमान एक
मगर गरीब का तन तो
क्षत - विक्षत होने पर भी
उतना ही काम करता है
अमीर के लिए आँसू बहाते हैं सभी
कोई गरीब की तरफ नहीं देखता
अमीर और गरीब में
बस फर्क है इतना ।
Poetry Done-
अमीरों तुम खुस रहो
हम गरीबों की यही दुआ है
हो सकता है तुम्हे अहंकार अपनी अमीरी पे लेकिन
हमें नाज़ है अपनी फकीरी पे।
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Garib apne tan ko dhakne ke liye,
Paise kharch karke kapde kharidta hai...
Aur aamir, apna tan dikhane ke liye,
Paise udake branded dress kharidte hai...
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कविता: नं. २२
भाग १
।।। अमीर और गरीब ।।।
अमीर और गरीब में
बस फर्क है इतना ।
अमीर चैन की नींद सोता है
गरीब रात भर जागकर
पहरा अमीरों का देता है ।
सुविधा के इस दौर में तो
हर सुविधा अमीर के पास होती है ।
सोने के लिए उसके नीचे
मुलायम गद्दे होते हैं ।
रहने के लिए पूरा महल
खाने के लिए बहुत सा माल
सर्दी हो या हो गर्मी
लेते हैं मजा पूरा साल ।
अमीर और गरीब
में बस फर्क है इतना ।
To Be Continue-
जब तक रिश्ते शरीर के आधार पर बनेंगे,
तब तक हश्र यही देखना पड़ेगा,
जो रिश्ते बनने लगेंगे आत्मा के आधार पर,
ये पैसा और शोहरत छुएगी भी नहीं।-
स्मरण रहे !!
औरत अमीर आदमी को कभी भाई नहीं बोलती..!
और मर्द खूबसूरत औरत को कभी बहन नहीं बोलता..!!-
महोब्बत-ए- दर्द है यारो,
बताऐं कैसे...
वो अमीर हैं , महंगे हैं,
अपना बनाऐं कैसे...
मुझ गरीब को उनसे,
प्यार है बहुत...
बताओ जरां ,
जताऐं कैसे...-