Shaykh Muntazir Imam   (makhfi)
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nahīñ nigāh meñ manzil to justujū hī sahī

nahīñ visāl mayassar to aarzū hī sahī
Joined 28 September 2017


nahīñ nigāh meñ manzil to justujū hī sahī

nahīñ visāl mayassar to aarzū hī sahī
Joined 28 September 2017
1 FEB 2023 AT 21:13

नआसना ही रहा मेरा क्लब मुहब्बत से
हम मुत्तक़ी भी वो
जो रूमी से राज़ी के ओर हिज़रत किये !

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5 DEC 2022 AT 1:34

बूतें भी लिहाज रखती है सिसकती हुई आवाजों का मुन्तज़िर
यह गलती हमारी हमने इंसानों से रहम माँगी !

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30 NOV 2022 AT 1:18

दिल लगा के देख लिया मुन्तज़िर
यहॉं दिलजोई के लायक कोई नही !

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13 NOV 2022 AT 1:54

कोई हमसे बाबस्ता हो कोई तो हमसे बात करे
किसी को तो रघबत हो कोई तो ख्याल करे

ये उलझनों में मुब्तला हुई जिंदगी ये पेशानियों की लकीरें मिटे
कोई तो हमे देखे कोई तो जुल्फें सवारे

ये किताबों की अलमारी से लधा जेहन ये मन्तिक ये फलसफे
कोई तो हो जो हमसे हमरा हाल पूछे कोई तो ये सवाल करे

गुज़रा है एक वक्त फ़क़त उसके इंतेज़ार में
मुन्तज़िर पे जो गुजरी कोई तो उसका मलाल करे

और ये तवील अंधेरा तोड़ चुका है मुझे
यारों कोई जुगनुओं को बुलावे कोई तो फरिश्तों को खबर करे ।

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10 NOV 2022 AT 0:42

बड़े सुकून की हैं उससे रघबतें
वो जिसके विसाल का कोई सवाल ही नहीं !

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10 NOV 2022 AT 0:37

बड़े सुकून की है उससे रघबतें
वो जिसके विसाल का सवाल ही नहीं !

ये मेरी लाचारी ये उसकी अता है
इसमें किसी को कोई कमाल ही नहीं !

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4 NOV 2022 AT 11:06

किसी का भी पूरा वक़्त मुझे मुयस्सर हुआ नही
मैं मुन्तज़िर तो हूँ
कोई मेरा मुन्तज़िर रहा नही !

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2 NOV 2022 AT 0:29

मेरा दरवाज़ा तो फक्त ज़ुलैख़ा ने बन्द किया
हाए इतनी फूटी किस्मत तो यूसुफ की भी नहीं !

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25 SEP 2022 AT 10:46

नींद उड़ा देती है ख्वाब मेरे
ए मुन्तज़िर
थोड़ी मधहोसी बुरी नही !

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10 SEP 2022 AT 23:42

नशीहतें भी हम ही को मिले जमाने से मुन्तज़िर
हम जो खुद को दरवेश समझते रहे !

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