वो इस कदर मेरी जिंदगी का पन्ना बन गया
जैसे कोई किताब मेरी जिन्दगी की ही हो..
जिसपर लिखी हर कहानी मेरी ही लिखी हो..
मेरी हर बात समझ जाने की कोई कला है क्या तुममें,
बस मेरी ही सुनते जाने की ये कोई अदा है क्या तुममें,
सच कहो न..
मुझे एक कहानी से लगते हो,
जिसे हर रोज़ पढ़ना पसंद है मुझे..
जिसे हर रोज़ सुनना पसंद है मुझे..
तुम्हें कोई और पढ़े इस खयाल से भी गुस्सा आता है मुझे,
हां, सही समझा है तुमने.. होती है मुझे जलन..
भले ही मैं कुछ न कहूं पर मेरी सांसें तुम्हें इस जलन का एहसास दिला ही देंगी..
जब भी तुम मेरे करीब आओगे मेरी आंखों की नमी तुम्हें रुला ही देंगी..
तुम ढलती शाम और चढ़ते दिन के साथ ही दिल के और करीब आते जा रहे हो..
शायद मेरी किस्मत और हाथों की.. लकीर बनते जा रहे हो..
दिल को जीत लेने की कोई कला है क्या तुममें..
सच कहो न..
मुझे अब आयिने की जरूरत नहीं पड़ती,
तुम्हारी आंखों से खुद को देख लेती हूं,
मुझे अब खुद का ख्याल रखने की जरूरत नहीं पड़ती,
तुम्हारी फिक्र में ही खुद को देख लेती हूं,
एक एहसास हो तुम जिसे महसूस करती हूं..
कुछ खास हो तुम जिसे मेहफूज़ रखती हूं..
तुम्हारी शरारतों के बाद भी प्यार आ जाता है तुमपे,
मुझे हर बार मना लेने की कोई अदा है क्या तुममें..
सच कहो न....
-