"Woh dhundta raha wajah dur jane ki,
Main b's apne rishton ko ehmiyat deti rahi..!!-
_कोशिश_
तेरे हर कदम को मैने एक वजह समझा
तुने मेरी हर कोशिश को बेवजह समझा-
Ittefaq se Mila that woh ajnabee
Najane kab Aziz ban gaya
Khwabon me samil hote hote
Najane kab duaon ka hissa ban gaya
Muskurana sikhate sikhate
Najane kab sukoon ka wajah ban gaya-
"कोई वज़ह न थी, उनसे दिल लगाने को
नज़रे उनसे मिलती रही और हमे मोहब्बत हो गयी"-
मुझे खबर बस इतनी सी रही माँ,
तु मुझे ले आयी ये अहसान रहा माँ।
कुछ चुकता रह गया इस जन्म में माँ,
माफ कर देना बस इस दफा माँ।
अगले जन्म फिर तेरा बेटा बनु माँ,
जिद्दी बेटा तेरा पिछे चला आया माँ।-
मोहब्बत का सिला,
बहुत ज़ालिम दिया तूने।
आँखों में बरसात का..
तौहफ़ा दिया तूने।
जी लेते तेरे तौहफ़े के सहारे..
पर,
जीने की कोई..
वजह कहां दी तूने।
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वज़ह पूछने का वक्त ही नही मिला..
वो लहजे बदलते गए, हम अजनबी होते गए..!!-
ख्वाहिश थी मेरी उस चाँद को पाने की ,
शायद यही वजह थी मेरे हार जाने की..!!!-