क्या फर्क पड़ता है बीजेपी जीते
या कांग्रेस
बर्तमान की सियासत को देखते
हुए एक शेर अर्ज़ है कि....!
दौर-ए-इलेक्शन में कहां कोई
इंसान नज़र आता है.
कोई हिन्दू, कोई दलित तो कोई
मुसलमान नज़र आता है.
बीत जाता है जब इलाको से
एलेक्शन का दौर, तब हर इंसान
रोटी के लिए परेशाननज़र आता है!!😦😦-
ব্যালট-বাক্সে নীতি পুরেছ
জয়ী বিপুল ভোটে;
চাওয়ার বেলায় হাত জুড়েছ
ফেরত দাওনি মোটে !-
गर्मी में शर्दी में या बरसात में पैदल ही निकलता हूं , क्यों ? क्योंकि में गरीब , वोटर हूं ।
खुद की जमा पूंजी के लिए , अपने हक के लिए । लंबी कतारों में थकता हूं । क्यों ?
क्यूंकि में गरीब , वोटर हूं ।
दो जून के भोजन के लिए , शहर शहर भटकता हूं । क्यों ? क्यूंकि में गरीब , वोटर हूं ।
रोजगार के बिना , अपनों से दूर रोजगार की तलास में, दर दर भटकता हूं । क्यों ?
क्योंकि में गरीब , वोटर हूं ।
तुम अमीर ओर तुम्हारे बच्चे , संकट में सबसे पहले घर पहुंचते हैं ।
क्यों ? क्यूंकि तुम अमीर ओर में गरीब वोटर हूं ।
कभी अफसर कभी नेता कभी धर्म कभी राजनीति के हत्थे चढ़ता हूं । क्यों ?
क्यूंकि मैं गरीब , वोटर हूं ।
तकनीक के दौर में ,अलग तकनीकी तरीकों से लूटता हूं । क्यों ?
क्योंकि में गरीब , वोटर हूं ।
चुनाव में, रैली में ही सुखी सा रहता हूं ।
रोज चुनाव ऐसी चाह रखता हूं| क्यों?
क्यूंकि इसी पल तो में पेट भर खाता हूं, चैन से सोता हूं ।
आप नही समझेंगे साहब, मुझे और मेरी मजबूरियों को।क्यों?
क्योंकि मैं गरीब वोटर हूं ।-
तुम्हे वो खर्च कर दें पूरी तरह, उससे पहले
उनकी जेब से बाहर आ निकल जाओ-
Each and every citizen of our country should give vote and give your precious vote to the most deserving candidate because you are giving him the power.
Be a voter.-