Dhirendra Upadhyay   (Dhiren)
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FiGhTeR @ MiNd ,PoEt @ HeArT
Joined 13 April 2017


FiGhTeR @ MiNd ,PoEt @ HeArT
Joined 13 April 2017
19 APR AT 11:39

जितने जद्दोजहद से,
लहरें मेरे पैरों के निशान मिटा रही हैं,
लगता है शायद,
मैं दुनिया बदलने निकला हूँ।

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19 APR AT 11:10

लहरों को देखकर, मुझे वो आशिक याद आता है,
जो प्यार में तो हार गया, पर कोशिश में नहीं।

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14 APR AT 7:33

हर कोई तन्हा,
छोड़ जाता है,
कोई सवाल तो कोई,
जवाब छोड़ जाता है।।

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28 FEB AT 14:05

I was young...

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28 FEB AT 9:15

जिम्मेदारियों के बोझ तले, नींद टूट जाती है,
गिद्ध भरी आँखों से, सुबह निकल जाती है।
कहता है Dhiren, मानो तो जानो,
कहीं अधूरी नींद में, ज़िंदगी जीना न छूट जाए...

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28 OCT 2024 AT 0:39

हारता नहीं है वो,
ना ही शर्माता है,
चाय की ग्लासे जब वो दोस्तों कि भरता है।।

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28 OCT 2024 AT 0:35

पता भी न चला,
और आँखें भर आई।।

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28 OCT 2024 AT 0:34

वहां तुम कुछ कहे देना,
शायद वो गुंज भी,
शांत हो जाए।।

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28 OCT 2024 AT 0:32

The smell of the burning hot oil,
Makes me stop and appreciate it with my appetite...

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28 OCT 2024 AT 0:30

ज़िंदगी तो,
हर बनती कोशिश में,
रुलाएगी ही।।

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