जितने जद्दोजहद से,
लहरें मेरे पैरों के निशान मिटा रही हैं,
लगता है शायद,
मैं दुनिया बदलने निकला हूँ।-
Dhirendra Upadhyay
(Dhiren)
570 Followers · 80 Following
FiGhTeR @ MiNd ,PoEt @ HeArT
Joined 13 April 2017
19 APR AT 11:39
19 APR AT 11:10
लहरों को देखकर, मुझे वो आशिक याद आता है,
जो प्यार में तो हार गया, पर कोशिश में नहीं।-
28 FEB AT 9:15
जिम्मेदारियों के बोझ तले, नींद टूट जाती है,
गिद्ध भरी आँखों से, सुबह निकल जाती है।
कहता है Dhiren, मानो तो जानो,
कहीं अधूरी नींद में, ज़िंदगी जीना न छूट जाए...
-
28 OCT 2024 AT 0:39
हारता नहीं है वो,
ना ही शर्माता है,
चाय की ग्लासे जब वो दोस्तों कि भरता है।।-
28 OCT 2024 AT 0:32
The smell of the burning hot oil,
Makes me stop and appreciate it with my appetite...-