QUOTES ON #VIDAI

#vidai quotes

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माँ मुझे पता है कि..
मैं कर गयी उम्र के उस पड़ाव को पार
जहाँ सजाए थे तुमने
मेरे और मेरे शहजादे संग सपने हजार
हां माँ आज मैं..
खुद ही खुद के सपनों से गयी हार
माँ सच कहूं तो मैं बोझ नहीं हूँ
माँ मैं तेरे ही खून का कतरा हूँ
हां माँ मुझे पता है..
तुम्हें मिलते हैं समाज से ताने बाने कई बार
और वो सारी नाराजगी तुम उतारती
मुझ पर बारम्बार
पर माँ मैं सच में कोई बोझ नहीं हूँ..
गर गयी मैं इस बार जिंदगी की जंग हार
मुझसे मिलने तुम तरसोगी बार बार
पर मैं तो चली जाऊंगी..
फिर से कभी न लौट आने के लिए माँ
क्योंकि मेरी विदाई ही तो जरूरी थी
💓🙏💓

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23 NOV 2019 AT 23:42


चलो दिखाएं तुमको अपना गांव
उसकी बिटिया की है बिदाई
देखो रो रहा सारा गांव

बच्चो की तरह जिद ना कर
सबकी होती है बिदाई
कौन रोता है तू शर्म कर
बाप है बिटिया पर रहम कर
तुझे रोते देख टूट जाएगी
वो कैसे ससुराल जाएगी
बिटिया अपनी नहीं पराई है
फिर भी सबकी आंखे भर आई है
हाथ जोड़कर कर कहता बाप बेचारा
ससुर नहीं पिता हो जिगर का टुकड़ा है हमारा
रखना बस इतना लाज हमारा
आंखों में पानी ना आए इसके दुबारा
आंखों में पानी ना आए इसके दुबरा
।। अनिल प्रयागराज वाला ।।


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एक ही दिन में पुराना सब,
ख़ुद से छूटने का दर्द !

😕

औऱ नया बहुत,
कुछ प्राप्त करने की खुशी !

😊

एक स्त्री को ही,
उसके जीवन मे प्राप्त होते है !!

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22 JUN 2018 AT 18:44

....

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22 AUG 2020 AT 14:14

विदाई
(पापा कल तेरी बेटी विदा हो जाएगी)
जो चिल्ला कर बोली हो,
वह चुप कैसे रह पायेगी।
जिसने सूट पर चुन्नी ना डाली हो,
वो सिर की चुनरी कैसे संभाल पायेगी।।
पापा .... कल....
जिसे पहले खाने की आदत हो,
वो बाद में कैसे खायेगी।
जिसे घूमना पसंद हो,
वह चारदीवारी में कैसे रह पायेगी।।
पापा ...... कल....
जो खुद को ना संभाल पाती हो,
वो एक घर को कैसे संभाल पायेगी।
जिसका तेरे बिन दिन ना गुजरता हो,
वो पूरी जिंदगी कैसे गुजार पायेगी।।
पापा ....कल.....
जिसे झुकने की आदत ना हो,
वो सब के सामने कैसे झुक पायेगी ।
जो घर से दूर ना रही हो,
वो घरवालों से कैसे दूर रह पायेगी ।।
पापा .....कल....
वो ससुराल है ना वहाँ,
अपने घर की आदतों को कैसे भुला पाएगी।
जाना तो पड़ेगा ना पापा ....
दुनिया ने रीत जो बनाई है।।।।

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" बहन की विदा "
कितना झगड़ते थे हम वो यादें ही रह गईं,
कल तक तुम हमारी थी आज पराई हो गई।
मैने सालों तक संभाला वो पल चंद लम्हों में निकल गया,
वो आया कुछ पलों में तुम को लेकर निकल गया।
जिस दिन तुम गई उस दिन सब इतने रोए थे,
वो तेरी बचकानी शरारतें और तेरी यादों में खोए थे ।
वो तेरा यूं रूठना और हम भाई तुझे मनाते थे ,
तू बहन नहीं तुम्हें उठा कर लाए थे कितना चिड़ाते थे।
तू रोती तो तुझे प्यार से कितना मनाते थे ,
जब रात हो तो कितनी सारी हम बातें बताते थे।
तुम बड़ी हुई तो तुझ पर कितना रोब हम जताते थे,
विदा हुई तुम जब घर से तो आसूं भी रुक न पाते थे ।।

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23 MAY 2020 AT 23:48

खुश भी बहुत था वो पिता,

की बेटी अछे घर जा रही है,,

और दुःखी भी था कि उससे दूर जा रही है,,

कर भी नहीं सकते थे कुछ,,

क्योंकि समाज की यही परम्परा चली आ रही है,,

एक दिन तो बेटी की विदा करने की बारी आनी ही है 😔

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✍️✨तेज, विद्या, विद्यार्थी एवं अध्ययन✨✍️
(नारी शक्ति, आवाज, संघर्ष)
अतफ़ाल ये दर्शक लाभान्वित।
कृत्य परिक्षित, बेहद शिक्षित।
तेज नज़र, दीदार से वंचित।
आकिल बन यूँ सर्व समर्पित।
भरे तौहीन वे लफ्ज़ थे घृणित।
सजे लहजे में हँसमुख किंचित।
कद्र पूर्ण व्यवहार से सिंचित,
बुरी नज़र, बुरे कर्म विसर्जित।
कर सत्कर्म, बुरे कर्म को वर्जित।
कर मेहनत कर नाम को अर्जित।
सतत समय न अविरत बाधित,
उक्त लफ्ज़ कर सहज विवादित।
वांछित लक्ष्य व सुखद समाप्ति।
भव्य आगमन, दृश्य की दीप्ति।
मन चंचल, मन अविचल बेमन।
सुखद पीहर, सम्मानित गुरूजन।
कर अध्ययन, कर नाम को रोशन,
अद्भुत प्रदर्शन और हँसे विलोचन।
(CAPTION अवश्य पढ़ें)

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20 JAN 2022 AT 19:26

❣️ ♥️❣️

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29 MAY 2018 AT 12:43

इंतज़ाम अपनी विदाई का कुछ यूं कर आयी हूँ
श्मशान में नम लकड़ियां सूखने को फैला आयी हूँ

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