वट की जड़ में
खोजती है
वो पति की दीर्घायु...
तरु की घनी जटाओं में
मिल जाती है उसे
ग्रह शांति...
और
वट का विशाल आकार
उसे देता है आश्वासन
कुटुंब के हरे भरे रहने का
ये स्त्री भी ना
पर्यावरण में Ph.D होती है
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सुंदरता का मुकाबला
आज अपने शबाब पर होगा
आज एक चाँद ज़मीन पे और एक
आसमान में होगा !
और हर चाँद अपने चाँद की मंगल
कामना करेगा !-
As I go round the tree
Tieing the thread with devotion
Praying for ur long happy life;
Even I wish that u bestow me with
Love, care & honour
Forever as ur dear wife....-
मैं तेरे जीवन का वटवृक्ष तुम मेरी छांव बन जाओ!
बन जाऊं मैं तेरा सत्यवान तुम मेरी सावित्री बन जाओ।-
"VatSavitri is not just another traditional festival that is celebrated among the masses, it is the story of a woman's resolute who even forced the 'Lord of Death', Yamraj to her husband's life. And Yamraj didn't just showed clemency at Savitri's love & devotion; Savitri maneuvered him in his own words, and in the end he was bound to release Satyavan's soul, leaving Yamraj both astound and impressed"
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वट वृक्ष की शीतल छांव तले,
सज-धजकर आई हूँ आज,
मन में उमंगें, आँखों में सपने,
तेरे नाम का सजा श्रृंगार।
सिंदूर से भरी रहे मेरी मांग,
मंगलसूत्र में बंधा रहे साथ,
सुहागिन का ये अनुपम श्रृंगार,
तेरे प्रेम का अनुपम उपहार।
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मेरे हर व्रत हर मन्नत का तासीर है तू
प्यार के हर लब्ज़ का नजीर है तू
बिन मांगे जो मुस्कुरा के सब दे दे,
उस रब की हसती हुई तस्वीर है तू-
"वट सावित्री"
ये गाथा है हमारी संस्कृति की..
तपस्या की, त्याग की..
नारी के बलिदान की,
उम्मीद की एक आश की..
प्रकृति में विश्वास की..
और सबसे जरूरी,
वृक्ष के महत्व पे डालते प्रकाश की..!!-
पेड़-पौधों की पूजा-अर्चना एक बहाना है,
असली मकसद तो इन सबको बचाना है।-