राम एक व्यक्तित्व अनेक
तुलसी के राम,काम विजय करवाते हैं
शबरी के राम,प्रतीक्षा का फल मीठा बताते हैं
अहिल्या के राम,शीला से जीवन तारते हैं।
केंवट के राम,बिना भेदभाव के मित्रता निभाते हैं।
हनुमान के राम,भक्त को बड़ा बताते हैं।
दशरथ के राम,राजभोग छोड़ वन चले जाते हैं
सीता के राम,एक पत्नी व्रत निभाते हैं।
भरत के राम,भ्रातृत्व प्रेम पर राज चलाते हैं।
लखन के राम,हर पग पर साथ चलते हैं।
श्रीराम अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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कड़वी बातों को सुनकर जो सह ले।..वही शिव है!
बहती अश्रुओं को रोक जो मुस्कान दे।..वही शिव है!
पड़ती बाधाओं को काट आगे बढ़े।..वही शिव है!
संकट के समय को टाल जो उबार ले।..वही शिव है!
भावसंयम कर काम का शमन करे।..वही शिव है!
स्वयं विष पान कर संसार को अमृत दे।..वही शिव है!
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लिखने को समय नहीं,तो क्या मन में भाव नहीं उभरते? तारीफ में क्या लिखूँ किसकी,स्वयं से अच्छा नहीं मिलते।
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तूने विश्व में बढ़ाया कीर्तिमान
हर हिन्दुस्तानी करे तूझे सलाम
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चारों युग जिस रथ के पहिये हैं
समय और काल बंधे घोड़े हैं
उस संसार रूपी रथ पर आरूढ़ होकर
मानव के जीवनयात्रा को मंगलमय
बनाने जगदीश्वर निकल पड़े हैं।-
किरदार वही अच्छा है जो अपने चरित्र का चित्र पाठक के मस्तिष्क में चलचित्र की भांति उतार देता है।
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एक-एक कर सभी पत्थरों ने अपने हाथ खींच लिए।
और मकान गिरने का दोष अंतिम पत्थर पर मढ़ दिया गया।-
ये टीस ये पीड़ा ये दर्द आंसुओं में डूबा अकेला।
न कहते बना न सहते बना जीवन बन गया झमेला।।-
हाथों की लकीरें जिधर मुड़ जाये उधर ही राह बनाते
देखा है हमने परिदों को कांटों से आशियाना सजाते।-
फिर भी क्यों तिरस्कृत होती हिंदी?
भारतमाता के माथे की बिंदी हिंदी
फिरभी बोलने से क्यों सकुचाते हिंदी?
हिंदी सबकी राजदुलारी हिंदी
फिरभी क्यों राष्ट्रभाषा नहीं बन पायी हिंदी?
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं-