मोहब्बत है तो मोहब्बत कीजिए यूं न रहकर दूर सजा दीजिए आइए करीब हुज़ूर गले से लगाकर मेरे दिल की बेचैनी को मिटा दीजिए कबसे तड़प रहे इंतेज़ार में आपके अब तो मेरी तकलीफों को मिटा दीजिए बहुत दर्द दिया है आपने हमें प्यार में है कोई इस दर्द की दवा तो दवा दीजिए आइए करीब हुज़ूर गले से लगाकर मेरे दिल की बेचैनी को मिटा दीजिए
अजब कुछ समा, आज देखे हैं ऐसे। सागर में गिरवर भी घुलते हैं कैसे। जहाँ क्यों न विस्मय की नजरो से देखें गगन जो ज़मी के चरण चूम बैठे। खिल स्वयं कुमोदनी सरोज को खिला गई आज नभ नक्षत्र युक्त किंतु चन्द्रिका से सिक्त पी हुआ चकोर तृप्त और भृंग पाश मुक्त अमा और राका मिल उषा मे नहा ग ई। आज महल झुक चले झोपडी़ से मिल गले भेद छुप ग ए सभी प्रेम की पुलक तले कालिमा की कोर को सलोनताई खा ग ई। आज कोई घट न घट दल समान एक बट एक बट की है लट दूर भी हुआ निकट बन गया सुघर विकट
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