ये मौत भी न जाने कैसा रिश्ता निभाती है
जिन्हें हम कभी खोना नहीं चाहते उन्हें ही छीन ले जाती है-
कौन जाने ये रातें ये मुलाकातें कल होंगी या नहीं
कौन जाने ये इतनी सारी बातें कल होंगी या नहीं
मत रोक मुझे जी लेनें दे इस लम्हे को
कौन जाने फिर कल ये बरसाते होंगी या नहीं..🤎
जी तो करता है इस लम्हे को समेट लू अपनी बाहों में
खोलू अपनी पलकें और भर लूं इन्हें निगाहों में
कितना सुकून भरा है इस पल में
चाहत तों यही है कि फैलाउ अपनी पंखे
और लेकर उड़ जाऊं इन्हें आसमानों में ..!❣️-
बहुत भुख लगी है
अपने हाथों से खिला दोना
बातें करनी हैं नाराजगी हटा दो ना
युं रूठा ना करो हमसे..🤎
अपनी आंसू नहीं दिखा सकती मैं सबसे
अब तो समझ जाओ ना ...
हमतो कब से तुम्हारे हैं
तुम भी मेरे कहलाओ ना ..🤎
_shikha-
अगर सब कुछ कह पाते तुमसे
तो कभी चुप नहीं रहते
मेरे चेहरे पर ठहरी ये खामोशी
क्या सच में तुमसे
कुछ नहीं कहते ? 🤍
शिkha-
मेरा दिल उसे भुलने को तैयार नहीं
और वो इतनी आसानी से कहते हैं कि
मुझे उनसे प्यार नहीं 🤎-
कहने को तो सब मेरे अपने हैं
पर जब भी मैं रोई किसी ने
हक जताकर चुप कराया नहीं...
जब मैं टूट कर बिखरी किसी ने
प्यार से समेट कर गले लगाया नहीं..
और रिश्तों की तु बात न कर मेरे दोस्त
रिश्तों का वास्ता देकर किस- किस ने
मुझे आजमाया नहीं 🖤
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किसी ने कहा.. बहुत समझदार हो गई है तु
सुनकर आंख भर आई.. कि कैसे कहूं
जिम्मेदारियों के बाजार में अपना बचपना गिरवी रखा है मेरे दोस्त
_shikha
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महलों की कभी फरमाइश नहीं करते
जो ना मिले उसकी गुंजाइश नहीं करते
हम गांव की लड़की है साहब
दर्द में रहकर भी दर्द की नुमाइश नहीं करते 🤎-