मोहब्बत के नाम पर अय्याशी सरेआम करते है,
मोहब्बत को मोहब्बत समझे वो लोग अब कहाँ मिलते हैं..
"प्राण जाइ पर वचन ना जाई" अब पढ़ने में ही अच्छे लगते हैं,
इन बातों को निभाने वाले लोग अब कहाँ मिलते हैं..
ये लोग जो दिन में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं,
अंधेरों में ढूंढो कभी देखो कहाँ मिलते हैं...
ये आज की दुनिया है साहेब यहाँ सच भी बिकते हैं,
झूठ को झूठ ही कहे वो लोग अब कहाँ मिलते हैं...
नयी सोच के नाम पर सभ्यता-संस्कृति भूल बैठे हैं,
ये नया युग है साहेब यहां राम-सीता कहाँ मिलते हैं..
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