Shalini Sahu  
2.9k Followers · 67 Following

read more
Joined 7 July 2019


read more
Joined 7 July 2019
18 MAR AT 9:10


मैं समुन्दर के बीचो-बीच
वो शख्स किनारे पर बैठा,
आती जाती हर लहर से टकराता हुआ...
शायद,
अब डूब जाने और
इन्द्रियों का अस्तित्व
नकार देने में कोई अंतर नहीं...

-


7 MAR AT 17:47

दिल चाहता तो था ठहर जाना फिर से,
तुम्हारी पनाहों में..
मगर इस दफा थोड़ा ख़ुदगर्ज हो चला था दिल..
रुकना चाहता था मगर बिना रोके नहीं,
कहना चाहता था पर बिना पूछे नहीं,
मान जाना चाहता था पर बिना मनाए नहीं..
अब दिल ने भी सीख ली थी दुनियादारी,
समझ गया था टूट -टूट कर
और सम्भल भी गया था
तुम्हारे रोक लेने पर खिल उठता,
मगर तुम्हारे ना रोकने पर मुरझाया भी नहीं...

-


30 JAN AT 22:23

मशरूफ अपने कामों से वो लम्हें चुराना भूल जाता है,,
नासाज मेरी तरबियत पूछना भूल जाता है

भूल जाता है अक्सर वो करना गुफ़्तगू मुझसे,
चाय पर मिलना था उसे , ना जाने कैसे वो चाय पीना भूल जाता है..

आँखों पर आई मेरी यें उलझी जुल्फे..
वो आँखे देखना और जुल्फे सुलझाना भूल जाता है

वो कह देता है बस उसे इश्क़ है मुझसे
इश्क़ के कायदे निभाना भूल जाता है

वो कहता है मोहब्बत मैं मान लेती हूं
कम्बख्त उसका दिल मोहब्बत करना भूल जाता है

शालिनी साहू

-


26 JAN 2023 AT 22:04

मैं सिखाउंगी उसे....


Read in caption❤️

-


24 FEB 2022 AT 10:16

कुछ महीनों के लिए yq से अलविदा
लौटेंगे फिर एक नई ऊर्जा और नई रौशनी के साथ...
आप सब के प्यार के लिए बहुत आभार 🙏

-


22 FEB 2022 AT 11:31

सबब उनकी बेपरवाही का हमेशा मिलता रहा मुझे ,
इक दिल है मेरा जिसकी ना मोहब्बत कम हुई ना उम्मीदें..

-


30 NOV 2020 AT 11:47

जब जाती है एक लड़की
घर की दहलीज को लांघकर,
वो लांघती है, समाज के तुच्छ विचारों के दायरों को,
ना की कुचलती है अपने पिता के सम्मान को
वो तोड़ती है जाति-धर्म की बेड़ियों को,
ना की अपनी माँ के विश्वास को..
वो खोलती है अपने पर अक्सर
प्रेम और स्वंत्रता की दुनिया में उड़ने के लिए
ना की और लड़कियों को बाँधने के लिए..
मगर अपनी विचारों को गंगा मानकर
डुबकी लगाए बैठे रहते हैं हम और तुम
जिसे सब कुछ अपवित्र लगता है..
हम नहीं समझ पाते ना समझा पाते हैं
स्वयं को और अपने समाज और परिवार को,
यदि आज वो ना लांघती ये धर्म जाति की बेड़ियाँ
तो उसका जीवन उस बाती की तरह हो जाता
जो दूसरों की राहों में तो उजाला कर देती
मगर स्वयं जीवनपर्यन्त जलती रहती...
यदि ना खोलती वो अपने पर तो बांध लेती
किसी और को भी ख़ुद में जिससे उसे नाम मात्र का प्रेम भी नहीं
बचा लिया उसने स्वयं और किसी और का जीवन..
मगर अफ़सोस हम समझ नहीं पाते
और उसे भी अफ़सोस रह जाता है अपने परिवार
का प्रेम ना पा पाने का
पर शायद वो दो ज़िन्दगियों को बचा लेने की
बात सोचकर संतुष्ट रह लेती होगी..

-


9 JAN 2022 AT 19:19

इश्क़ का उन्हें लहज़ा नहीं मालूम,
लगता है कभी इबादत नहीं की उन्होंने...

-


18 DEC 2021 AT 10:25

यूं तो तरबियत में था हमारे एहसासों को उकेर देना,
मोहब्बत जब से तुम से हुई है ना जाने क्यों दिल भरा भरा सा है..

-


13 DEC 2021 AT 17:10

लिखेंगे हम इश्क़ में तेरे,
ग़म-ऐ-हिज्र में तो सब लिखते हैं..
हम रहेंगे दुःख के अँधेरे में संग तेरे,
खुशियों की सुबह में तो सब रहते है..
हम करेंगे बेमतलब की यारी तुझसे,
मतलब की यारियां तो सब करते हैं..
हम निभाएंगे इश्क़ आखिरी सांस तक,
कुछ वक़्त दिल बहलाने को तो सब करते हैं..
हमें है ग़र चाहत, तो है बस तेरे इश्क़ की
जिस्म और दौलत की चाहत तो सब करते हैं..
ना हो इश्क़ ग़र तुम्हें, तो एकतरफा ही करेंगे हम,
दोनों तरफ से हाँ हो,वो इश्क़ तो सब करते हैं..

-


Fetching Shalini Sahu Quotes