कहाँ मिलता है अब फुर्सत के लम्हों मे भी सुकून,
कुछ टूटे हुए सपने,
कुछ छूटे हुए अपने
अक्सर याद आते हैं अक्सर याद आते हैं....-
मिल जाऊं वतन की मिट्टी में बस यही चाहत है हमारी... read more
उपस्थिति मे जो नहीं सुन पाते,
किसी की बातें.....
वक़्त उन्हें अनुपस्थिती का शोर सुनना सीखा देता है...-
मैं समुन्दर के बीचो-बीच
वो शख्स किनारे पर बैठा,
आती जाती हर लहर से टकराता हुआ...
शायद,
अब डूब जाने और
इन्द्रियों का अस्तित्व
नकार देने में कोई अंतर नहीं...-
दिल चाहता तो था ठहर जाना फिर से,
तुम्हारी पनाहों में..
मगर इस दफा थोड़ा ख़ुदगर्ज हो चला था दिल..
रुकना चाहता था मगर बिना रोके नहीं,
कहना चाहता था पर बिना पूछे नहीं,
मान जाना चाहता था पर बिना मनाए नहीं..
अब दिल ने भी सीख ली थी दुनियादारी,
समझ गया था टूट -टूट कर
और सम्भल भी गया था
तुम्हारे रोक लेने पर खिल उठता,
मगर तुम्हारे ना रोकने पर मुरझाया भी नहीं...
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मशरूफ अपने कामों से वो लम्हें चुराना भूल जाता है,,
नासाज मेरी तरबियत पूछना भूल जाता है
भूल जाता है अक्सर वो करना गुफ़्तगू मुझसे,
चाय पर मिलना था उसे , ना जाने कैसे वो चाय पीना भूल जाता है..
आँखों पर आई मेरी यें उलझी जुल्फे..
वो आँखे देखना और जुल्फे सुलझाना भूल जाता है
वो कह देता है बस उसे इश्क़ है मुझसे
इश्क़ के कायदे निभाना भूल जाता है
वो कहता है मोहब्बत मैं मान लेती हूं
कम्बख्त उसका दिल मोहब्बत करना भूल जाता है
शालिनी साहू-
कुछ महीनों के लिए yq से अलविदा
लौटेंगे फिर एक नई ऊर्जा और नई रौशनी के साथ...
आप सब के प्यार के लिए बहुत आभार 🙏-
सबब उनकी बेपरवाही का हमेशा मिलता रहा मुझे ,
इक दिल है मेरा जिसकी ना मोहब्बत कम हुई ना उम्मीदें..-
जानबूझ कर तो नहीं करता मैं
पर तकलीफ फिर हो रही है..
फर्क सिर्फ इतना सा है,
पहले तुम्हे हुई अब मुझे हो रही है...
जो देते हैं लौट कर वही आता है
पहले सुना था अब महसूस हो रहा है..
मेरे कर्मो का मुझपे कटाक्ष हो रहा है,
तुम्हें दिए कितने ज़ख्म मैंने अब एहसास हो रहा है..
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