मेरी नींदें मुंतज़िर रही सदा से जिन ख़्वाबों की,
वो जुगनू बन रोशन करते हैं अब कुछ नीमअंधेरी राहों को!-
उन ख़्वाबीदा सी आंखों में बसी, काजल की तहरीर कोई
बन जाऊं उसके हाथों, बेरंग ही सही तस्वीर कोई !
Un khwabida si aankho me basi, kajal ki tahrir koi
Ban jaau uske haatho , berang sahi tasveer koi-
ब्रह्मापुत्र दक्ष के धाम पुत्री रूप में सुरसुंदरी माँ आद्यशक्ति पधारी,
देवी ब्राम्हवादीनी ने सती रूप धरकर रची महिमा अतिशय न्यारी।
दक्ष को हो गया था तीनों लोकों के अधिपति होने का अभिमान,
हृदय में मलोमलिन्य उत्पन्न हुआ जब शिव ने नहीं किया प्रणाम।
बाल्यकाल से ही सती के रोम-रोम में समाहित थी शिव साधना,
पिता के विरुद्ध जाकर देवी सती करने लगी शिव की आराधना।
पिता दक्ष को नहीं स्वीकार था सती का शिव के प्रति प्रेम पुनीता,
भूमि पर माल्यार्पण कर देवी सती बन गई महादेव की परिणीता।
सती के इस कृत के निमित्त दक्ष ने पुत्री सती का किया परिहार,
अज्ञानतावश दक्ष ने शिव सती के विवाह को ना किया स्वीकार।
कनखल में राजा दक्ष ने किया बृहस्पति श्रवा यज्ञ का अनुष्ठान,
शिव सती को निमंत्रण ना भेज अपने अहम का किया उपधान,
सती पितृगृह जाने का हठ करने लगी सुनकर ऐसी अवमानना,
शिव के समझाने पर ना मानी,लेकर गईं सम्मान की संभावना।
दूरबुद्धि दक्ष करने लगा कटु वचनों से त्रिलोकी का तिरस्कार,
कोमल हृदय वाली माँ सती सह ना सकी पिता का दुर्व्यवहार।
पति परमेईश्वर की अवज्ञा के निमित्त आत्मग्लानि से हो यति,
पति के प्रेम में पूर्ण समर्पित होकर हवन कुंड में कूद गई सती।-
Love is like, a dancing peacock in hefty rain..
and sometimes like a ghastly thunder ensued by pain
"Muhabbat sukoon hai, raza bhi deti hai..
Gunah bhi hai, saza bhi deti hai.. "
Love is an inebriant, take you to the highest cloud..
sometimes clench callously and knock you to the ground
"iss nashe mein khudko itmenaan ki gehraiyo'n mein bhi khoya hai..
to kabhi isne izteraab ke dal dal mein le duboya hai.."
LOVE IS LIKE...-
Story time
(यूं ना करो मुझे प्यार)
Episode -1
(Read in captions)-
Part-1
जब पहली बार देखा तुझे
नहीं पता था यूं दिल लगा बैठूंगी मै
तू आम सा बस एक लड़का था
पर आज खास बन गया था मेरे लिए..
तेरी नज़रों से दूर भागने लगी थी मै
तुझे छुप कर देखने लगी थी मै
तेरी होठो की मुस्कुराहट को
हर पल ढूंढने लगी थी मै
तू आम सा बस एक लड़का था
पर आज खास बन गया था मेरे लिए..
-
मेरी मां भी मुझे डाट दे
ये गवारा नहीं था तुम्हें
अगर उसने हाथ उठा दिया
तो सह पाओगे क्या
एक आंसू नहीं आने दिया
मेरी आंखों में कभी तुमने
जब बहेगी आंसुओं की धार
तो रोक पाओगे क्या
बोल तो दिया किसी और की हो जाने को
किसी और का होता देख पाओगे क्या-