जाने कहाँ गए वो दिन,
कहते थे तेरी राह में
नज़रों को हम बिछाएंगे
चाहे कहीं भी तुम रहो,
चाहेंगे तुमको उम्र भर
तुमको ना भूल पाएंगे
जाने कहाँ गए वो दिन
मेरे कदम जहाँ पड़े,
सजदे किये थे यार ने
मुझको रुला रुला दिया,
जाती हुई बहार ने
जाने कहाँ गए वो दिन ...
अपनी नज़र में आज कल,
दिन भी अंधेरी रात है
साया ही अपने साथ था,
साया ही अपने साथ है
जाने कहाँ गए वो दिन ...
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