-
"मां गंगा" का सर पे "आंचल" है...
"आरम्भ" मेरा "बनारस" है,
मेरा ... read more
समझौता ही तो पसंद नहीं था
पर वही जिंदगी बन गया,
आधा अधूरा कुछ भी नहीं
चाहिए था पर नसीब में सब
अधूरा ही रह गया।-
कभी फुर्सत में लिखेंगे वो तमाम
खूबसूरत पल जो हम सोचे जरूर थे,
मगर उन्हें जी नहीं पाए...-
समझाते हैं हमें,
जो सिर्फ़ जानते है हमें।
हमें समझने वाले,
अक्सर ख़ामोश
रहा करते हैं हमारे साथ।-
मेरी ख़ामोशी को "रूखसत" का नाम ना दिया जाए, ख़ैर आप आवाजों के बाजार में हैं ख़ामोशी पहचान नहीं पाएंगे।
मेरे शब्द भी अब दबे पैर चलते हैं, सोच लिजिए सरेआम चले तो सह नहीं पायेंगे।
बेवफाई का आईना ग़र हम दिखाए ना,तो ख़ुद की ही अदाओं से नजरे मिला नहीं पायेंगे।-
आप समझाते रहे मोहब्बत में साथ रहने की जिद्द नहीं करना,
जब हम समझ गए तो आप साथ रहते तो बात ही कुछ और थी।
हमारे साथ इश्क़ तो पहले आप ने ही महसूस किया था,
हमें महसूस करा के आप साथ होते तो बात ही कुछ और थी।-
दूसरों से ना सही ख़ुद से फरियाद तो करते होंगे,
ज़्यादा नहीं पर वो हमें थोड़ा याद तो करते होंगे।
माना वो दिन भर बहुत मसरूफ रहते होंगे,
पर तन्हाई में कुछ पल हमारे लिए बर्बाद तो करते होंगे।-
गलतियां भी होगी और
गलत भी समझा जायेगा,
यह जीवन है मित्र
यहा तारीफे तो होगी लेकिन
जलील भी किया जाएगा...-