Diksha Singh   (Diksha Singh)
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Joined 30 January 2023


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YESTERDAY AT 23:00

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16 SEP AT 23:07

समझौता ही तो पसंद नहीं था
पर वही जिंदगी बन गया,

आधा अधूरा कुछ भी नहीं
चाहिए था पर नसीब में सब
अधूरा ही रह गया।

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13 SEP AT 16:01

"अंधेरी रात पूरी ख़ामोश"

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12 SEP AT 23:12

कभी फुर्सत में लिखेंगे वो तमाम
खूबसूरत पल जो हम सोचे जरूर थे,
मगर उन्हें जी नहीं पाए...

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12 SEP AT 12:11

समझाते हैं हमें,
जो सिर्फ़ जानते है हमें।

हमें समझने वाले,
अक्सर ख़ामोश
रहा करते हैं हमारे साथ।

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11 SEP AT 23:21

मेरी ख़ामोशी को "रूखसत" का नाम ना दिया जाए, ख़ैर आप आवाजों के बाजार में हैं ख़ामोशी पहचान नहीं पाएंगे।

मेरे शब्द भी अब दबे पैर चलते हैं, सोच लिजिए सरेआम चले तो सह नहीं पायेंगे।

बेवफाई का आईना ग़र हम दिखाए ना,तो ख़ुद की ही अदाओं से नजरे मिला नहीं पायेंगे।

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10 SEP AT 23:31

आप समझाते रहे मोहब्बत में साथ रहने की जिद्द नहीं करना,
जब हम समझ गए तो आप साथ रहते तो बात ही कुछ और थी।

हमारे साथ इश्क़ तो पहले आप ने ही महसूस किया था,
हमें महसूस करा के आप साथ होते तो बात ही कुछ और थी।

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4 SEP AT 21:57

संघर्ष
में तुम अनाथ हो मित्र,
क़ाफ़िला तो सफलता
के बाद उमड़ता है।

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31 AUG AT 13:18

दूसरों से ना सही ख़ुद से फरियाद तो करते होंगे,
ज़्यादा नहीं पर वो हमें थोड़ा याद तो करते होंगे।
माना वो दिन भर बहुत मसरूफ रहते होंगे,
पर तन्हाई में कुछ पल हमारे लिए बर्बाद तो करते होंगे।

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28 AUG AT 9:51

गलतियां भी होगी और
गलत भी समझा जायेगा,
यह जीवन है मित्र
यहा तारीफे तो होगी लेकिन
जलील भी किया जाएगा...

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