फ़ख़त ज़िस्म से रूह
निकलने तक का
खेल है, ये ज़िन्दग़ी।
और मौत से बेख़बर
ये लोग..
जीते जी बिन बात के
बेहिसाब, तमाशें बनाते है।-
आंखे साफ करलूं,
एक बार ओर,
मस्त तमाशे सुरु होने है,
काम की गरज,
गरज से काम,
देख कैसे लेते है "जावेद"
वो सब तेरा नाम...😃😃🤔-
Har Roz ho rahe hai tamashe Kai,
Aadat magar hamari sudharne se rahi,
Har qatl ke bad bas jata dete hai afsos,
Hayy, murshad , tuzme gairat naam ki na rahi..-
" नक़ली शहज़ादे .... "
नक़ली दुनियां के शहज़ादों को, सच्चाई का वहम लगा हैं,
तमाशा करे और गाली दे, उनको ये भी अपना हुनर लगा हैं...!!-
ज़िन्दगी के अपने ही तमाशे हैं
जोकर इंसान तो समय दर्शक है ...!!!-
खुद को गुजाऱ कर जो जिंदगी बची है
वो हादसों और तमाशो से कम नहीं है।।-
गहरे दिलासे,
और ठहरे तमाशा तमाशे....
जब सामने से गुजरते हैं,
तबाही मचा देते हैं 🌸-
अब्र को अर्श भर में छुपाएं कहां,
इश्क नैनों से झर के जाए कहां।
आओ ले चलो उस दरिया के पार,
‘रूह’ मेरी अब पनाह पाएं कहां।
तमाशबीनों की लंबी कतारें जो हैं,
तमाशे डमरू पे अब दिखाएं कहां।
लुट गई दुनिया सारी आजमाइश में,
रोटी इज्जत की अब पाएं कहां।
कागज की नाव पे बचपन की छांव,
किस्से अब कहानियां सिखाएं कहां।
जो ख्वाब सारे हो उठे हैं यूँ बेपर्दा,
‘हिम’ परदों में ख्वाब दिखाएं कहां।।-
कागज पर कलम गोद कर , हर कोई गुप्ता नही बन जाता ,
कई बार अपनी मोहब्बत के तमाशे अपनो के साथ देखने पड़ते हैं ,-