बनानें को बस बातें ही तो रहतीं हैं।
दुनिया की आदत है कहना, वो कहती है।
किस किस बात को दिल से लगाओगे हुजूर,
नदी कब औरों के हिसाब से बहती है।
सफ़र की आजमाइश का पैमाना यही है,
दिल तड़पता है पर जुबां चुप रहतीं हैं।
तुम काफ़िले में चलो या तन्हा रहो,
किस्मत पैरों के निशानों की भी बदलती है।
वक्त के साथ चलों, रब का दामन थामकर,
उसी के इशारें से तो बर्फ भी पिघलती है।
जरा कभी मिलों तो अपने आप से सफ़र,
अजनबियों से तो सारी दुनिया मिलती है।-
Miraquull id.. Safaranjana
Me Ek Rahguzar Hu, Rahguzar Ki Talash Me,
S... read more
टूट कर जब यकीं जुड़ नहीं सकता,
फिर दरारों में यूं इश्क़ भरना क्यूं।
जिसने छिन ली हो वजह ज़ीने की,
उसी पर बाख़ुदा फिर मरना क्यूं।
बहाओ जो अश्क याद करके तुम,
उन्हीं मोती को फिर पिरोना क्यूं।
दिल देकर खुद ही का ना रहना,
खुद को किसी गैर से बदलना क्यूं।
पता था की मंज़िल फकत परछाई है,
जानकर भी ऐसी राह पर चलना क्यूं।
मार तो दिया खुद को कब से तुमने,
रस्म अदायगी को दफ्न या जलना क्यूं।-
दोगले लोगों की फितरत है, बदलते रहना,
कभी मिट्टी में मिलना, कभी जलते रहना।
हवा के साथ बहना, टूटें हुए सूखे पत्तों सा,
ना की गुलों की तरह खिलकर बिखरते रहना।
वो बदलते हैं रास्ते भी, ना की मंज़िल फकत,
जिनकी किस्मत में लिखा है बेवजह चलते रहना।
हर हाल मे पकड़े जाएंगे उस दुनिया में मुनाफिक,
यहां चाहें जितनी बार तुम नाम बदलते रहना।
वो सुन ही ना सके दिल का रोना, रूह की चीख,
जिनकी आदत हो घावों पर नमक मलते रहना।
मिलेंगे हर मोड़ पर जादूगर तुम्हें भी ऐसे सफ़र,
मुस्कुराना, नज़र अंदाज़ करके निकलते रहना।-
इश्क़ होगा तो जुनून भी होगा,
घाव तन्हा नहीं ख़ून भी होगा।
फकत सर्द रातों की उम्मीद क्यूं,
दिसंबर होगा तो जून भी होगा।-
शैतान के मुरीद भी बने ऐतबार फिरते हैं,
भीड़ की आड़ में बने तीस मार फिरते हैं।
जिन्होंने पढ़ें नहीं खुद कवालीन अपने,
औरों में निकालते ऐबों की तलाश फिरते हैं।
तोड़ते यकीं बार बार जिनका मुनाफिक,
मांगते उन्हीं से मुहब्बत का एतराफ फिरते हैं।
हिसाब हर अमल का कानून ए कुदरत है,
वो लेकर दिल में नफ़रत की किताब फिरते हैं।
काम करते हैं ख़िलाफत ए मुहाशरा जो,
वहीं लेकर ओहदा ए सदर खिताब फिरते हैं।-
वो तंग गली में मकान ढूंढता है,
गोया कि छोटे गांव में जहान ढूंढता है।
उसे डर लगता है ऊंची उड़ान से शायद,
तभी उड़ती पतंगों में आसमान ढूंढता है।
धीरे चलता है दौड़ता नहीं अक्सर,
वो पगडंडी पर बने निशान ढूंढता है।
किनारों पर रहता है डूबने के डर से,
कागज की नाव में पतवार ढूंढता है।
तन्हाई पसंद है उसे गुम होने के डर से,
वो दरख्तों के दरमियां भी मचान ढूंढता है।
जिंदगी सारी गुजारी औरों के लिहाज में,
और खत में लिखें लफ़्ज़ों की जुबान ढूंढता है।-
हर रोज एक कशमकश, जंग मौत तक जारी है,
यही जिंदगी की हक़ीक़त, यही दुनिया दारी है।
यूं तपिश बर्दाश्त नहीं, कभी उसी की चाहत,
कभी जिस्म की ज़रूरत, कभी रूह भी भारी है।
गलतियां औरों की दिखे, अपने गुनाह भी माफ़,
आंखें सलामत है, पर ना दिखने की बीमारी है।
लेने से इंकार नहीं, देना बड़ा मुश्किल लगे,
मौके की तलाश, हर कोई किसी के लिए सवारी है।
सदके में है आफियत, और दुआएं बेशुमार,
ये मगफिरत का दरिया है, कयामत तक जारी हैं।
रब के भरोसे पर ही चल, दुनिया खुद में धोखा है,
सिकंदर भी कह गया, जाते वक्त हाथ खाली है।-
चेहरे की जो परतें देखी, कसम से डर गया मैं,
रूह ने जिस्म छोड़ दिया हो, जैसे मर गया मैं।
छुपा लिए हजारों रंग, एक छोटी सी गठरी में,
जो खोली गांठ मैंने, खुद उनमें भर गया मैं।
आदमी एक ही था, पर आइने हज़ारों थे,
सोचता हूं एक से मिला था, या शहर गया मैं।
मौसम के बदलते रंग तो अक्सर देखता रहा हूं,
उसके बदलाव को देखकर मगर ठहर गया मैं।
यकीन किस पर करूं, आंखों ने तो सब देखा,
पर जो ना दिखा, उसी बात से सहर गया मै।
क्यूं बदलूं मैं मिज़ाज अपना सफ़र औरों के लिए,
ये तो वही बात होगी, किसी और के घर गया मैं।-
रोशनी ए माहताब भी कितनी खुबसूरत है,
खुद चांद को भी काले टीके की जरूरत है।
इस रात का अंधेरा भी, चराग सा रोशन है,
जैसे ऊसे भी उजाले से सच्ची मुहब्बत है।
दुनियां का होकर, दुनिया से अलग अहसास,
ये कोई ख़्वाब है या वाकई हकीकत है।
इश्क़ के जहां का शायद यहीं दरवाजा है,
तभी तो रूह को सुकून दिल को राहत है।-
अनकहे अहसासों में से, एक अहसास है दर्द,
कभी कुछ भी नहीं, कभी बहुत खास है दर्द।
हज़ार शिकायतें कर ले, हम दर्द की लेकिन,
मिलने वाली हर हंसी, का इमकान है दर्द।
गर ये ना होता तो, आंखें रोना ना जानती,
दौर ए हिज़्र में, दर ए इश्क़ का जाम है दर्द।
हर कोई भाग रहा है, अपनी खुशी की तलाश में,
और दर्द हर कोने में है, कितना आम है दर्द।
रब के करीब कर दे, गर इसे अपना लो तुम,
हालांकि बुरे नामों से यूं ही, बदनाम है दर्द।-