आ तुझे मेरा पहला ख्वाब लिखू ,
महज 1 कली नही , गुलाब का पूरा बाग लिखू ,
धूल दू इन लकीरो को किसी समुंदर में ,
आ तुझे आरोही नही , मेरी जिंदगी का उगता आफताब लिखू ,-
बता इंतेज़ाम क्या क्या है।
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अल्फाजो के छैनी हथौड़े हैं मे... read more
शिकायत तो रहेगी तुझसे ए खुदा, की क्यों रूबरू कराया मुझे इस दास्तान से ,
काश उस झुठ को ही बरकरार रखता ,
ना मैं बसाता उसे दिल मे अपने , ना बनाता लत अपनी ,
काश तू उससे मेरा वही रिश्ता बरकरार रखता ,-
जिन्दगी के दौर में , अकड़ के तख्त पर बैठा हर शख्स ,
इश्क़ की चौखट पर मात्र 1 मुलाजिम ही होता हैं ,-
वफ़ा में दगाबाजी अच्छी नही लगती ,
ये अदा आप पर अच्छी नही लगती ,
वो चंद बदनसीब लम्हे थे जब करीब था कोई और आपके ,
पर सच कहूँ आप किसी और बिल्कुल अच्छी नही लगती-
अभी खूबसूरत हो तो, हर कोई खूबसूरती के गोते लगा रहा ,
किसी रोज झुर्री के मझधार पर , दिल किनारा करने वाला मिलेगा तो मोहब्बत समझाना-
सुना है बहुत पहरा है आसमान पर , तो चलो आज आसमान के चौकीदार की पगड़ी की उछाला जाये ,
बहुत दिनों से खफा हैं रोशनी मेरे मोहल्ले की , चलो आज उस चाँद को घर से निकाला जाये ,-
हवस की चादर को गिराकर , वो रोज रात कुछ इंतेजाम करता है ,
सामने पड़ी इज्जत को ठुकराकर वो , संस्कारो को ध्यान करता है ,
ऐसा नही की मन मान जाता है , इतना आसान नही होता हैं ,
जवाब वहाँ भी देना पड़ता है , जब खुदसे आईना बात करता है ,
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आँख पर पट्टी बंधे उस पुतले से उम्मीद रखु भी तो क्या ,
जिसे बिलखती आवाज तो सुनायी देती हैं , पर रोने का सबूत माँगती है ,-
खैरात की खुशियों से, मेहनत की धुत्कार भली ,
मोहतरमा की झूठी मोहब्बत से , एक कप चाय भली ,
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मुस्कुराहट को मोहब्बत का नाम ना दो साहब ,
वरना हवस की आग में तवायफ से आशिकी कोई नही करता ,-