सब्र इख़्तियार करना दिल को थाम लेना तुम
वो सब ठीक कर देता है रब का नाम लेना तुम-
رب کو میں اپنے منھ کیا دکھاوں گا اے حفیظ
سجدہ ادا جو شکر کا پیہم نہیں کیا
حفیظ بن عزیز
रब को मैं अपने मुँह क्या दिखाऊंगा ऐ हफ़ीज़
सजदा अदा जो शुक्र का पैहम नहीं किया
( पैहम = लगातार, बराबर )-
Zindgi mai agar koi chhod kar jaye to Dukhi mat hona...!
Balki shukr ka sajda karna...!
Kyunki...!
Hamara rab hamesha
hamare saath hai..!!!
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दिल थामने को जो कहा तुने
मेरा जह़न भी ठहर गया...
कर निस्बत ख़ुदा को मुझसे
तु कुल्जु़म-ए-दिल में उतर गया...-
Kch nhi hai iske paas
Phir bhi khush kitna hai chehra iska
Shukr adaa kro Tum khuda k
Kch toh hai tumhare paas
Kahne ko apna-
निकाल कर तल्ख़िया मिज़ाज की,मुसलसल सब्र और श़ुकर करते रहें,
मेरे मौला हमारी इबादतों में,अपनी इश्फ़ाक़ बनाए रखना...
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Mitti mitti hai mahaz khak hai ye jishm
Rooh ke liye kiraay ka makan hai ye jishm,
Dhal jaayenge ek roj tere ye martabe bhi
Bas Chand lamho ka mohtaaj hai ye jishm,
Na itraa musalsal na bekhauf ho Ars wale se,
Chamak dhamak sb khak ho jayegi Rooh nikal Jane se,
Na sanwar yunh jishm ko auro ki khatir
Paak rakh ye daman parde me reh k,
Ba'adab kirdaar ye hushn-o-akhlaaq ikhtiyaar le,
Quraan ki khushbu se apni Rooh nikhaar le
Ye farsh bichha hai, falak saza hai tere hi liye
Shukr shukr bs shukr se zindagi gujar le..!! ❣️✍️
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कम है इबादत के लिए सारी जिंदगी भी अपनी,
दुआओं का नूर राहें आसान बना सके।
अफ़सुर्दा दिल लिए तकदीर पर रोकर कुछ न होगा,
राज़ी रब को करने की मुमकिन कोशिशें कर सकें।
माफी के तलबगार है,हर हाल मे शुक़्र करते हैं,
आँखे सजदे मे भिगाकर ,करीब उस रब को पा सके।
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तसव्वुर में रंग भरकर भी देखा लेकिन,
ख़ूबसूरत हर ख़्वाब,यूं मुकम्मल नही होते।
ख़ुदा का शुक़्र जो मायूसियां अश्कों में बह जाती है,
वरना ये आँसू भी,कितने मोहताज होते।-
रब के सिवा कोई माबूद नहीं,
दिल से निकली आह का तलबगार है मेरा रब,
अनकही बातों को समझने वाला वाहिद जात है मेरा रब....-