फौजी है वो, अपनी हर सांस तक देश के नाम कर आया है
अपने सारे अरमानों को वतन पर वो कुर्बान कर आया है
बहाते नहीं आंसू कभी जाबाजों की शहादत पर "निहार"
वो देश के हौसलों को बुलंद करने का इंतजाम कर आया है
मिट गया है हर कोई जो हमारी फौज से भिड़ा है
वतन की हिफाज़त के वास्ते फौजी सरहद पे खड़ा है
सीने में ज़ुनून, आंखों में देशभक्ति की चमक रखता है
दुश्मन की सांसें थम जाएं, आवाज़ में ऐसी धमक रखता है
Salute to all the soldiers and
Tribute to martyrs of 14- feb-2019 (Pulwama attack)-
आज तिरंगा भी खफा था खुद से,
क्यों में लहराने से ज्यादा शहीदों में लपेटा जाता हूं !
क्यों राजनीति की आड़ में,
मैं भ्रष्टाचारी के हाथों लेहेराता हूं !
मै नहीं मानता नेता कारोबारी को देश प्रेमी!
अगर ऐसा है तो क्यों नहीं भेजते अपने लाल को फ़ौज में?-
आश्चर्य-
बस इतनी बात समझ नहीं पाते हम
रक्षक को भी सुरक्षा की आवश्यकता है
सैनिक शहीद होते हैं, हम एक ओर स्ट्राइक चिल्लाकर और दुःख जताकर सब भूल जाते हैं😐-
भारत में उन सहीदों के सम्मान में लगेंगे हर वर्ष मेले
जो इस देश की खातिर अपने लहू की हर बूंद से खेले
🌹Humble Tribute To Bhagat Singh🌹-
सोचने भर से ही मेरे सैनिक का नाम
ज़र्रे ज़र्रे को ज़न्नत नसीब होती है✨🙏
और
कितनी ज़ालिम है ज़ाहिल तेरी ज़न्नत जो
ज़ुल्म, जनाजों से नसीब होती है!
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खाकी के अंदर भी अपने बीच का इंसान है,
वो ओरों से नहीं अपनों की वजह से बदनाम है,
आज खाकी लहूलुहान है, आज खाकी लहूलुहान है।।।
(अपने कर्तव्यपथ पर जान देने वाले
खाकी के वीरों को शत-शत नमन
और भावभीनी श्रद्धांजलि 🇮🇳🇮🇳🇮🇳)-
अफ़सोस
कुछ लोग इतने खोटे सिक्के हैं जो इस दुःख के माहौल में भी आम आदमी के कैंडल-मार्च और श्रद्धांजलि पर सवाल उठा रहें हैं,
इससे भी बड़ा अफ़सोस मैंने उन्हें फॉलो कर रखा है 😐😐-
"श्रद्धांजलि"
बेबाक बहती धारा सी थी वो,
लोगो के लिए स्वच्छ जल के किनारा सी थी वो...!!
सबके दर्द को अपने अंदर थी वो समेटे हुए,
आज बिना दर्द वो चुप-चाप हैं देखो लेटे हुए...!!
-©Saurabh Yadav...✍️
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((जिंदा होता ))
काश वो वक़्त थम गया होता
जिस घड़ी मैं ख़ुद को ख़त्म करने की सोच रहा था
आसान नहीं था मेरे लिए छोटे शहर से
सपनों के शहर में अपना कदम रखना
बहुत सी मुश्किलें सामने आया
मगर मैं उनसे जीतकर आगे बढ़ता गया
मेरी एक गलती हमेशा के लिए मुझे ख़ामोश कर गया
वरना आज मैं जिंदा होता ,,,,,,
सफ़र जारी था जिंदगी का
लेकिन मैं खुद से हरता गया
इस कदर बिखरा मैं अपने अस्तित्व को छुपाने लगा
कोई दुआ मुकम्मल मेरी भी हुई होती
मुक्कदर में लिखी खुशी मेरी भी हुई होती
सबकुछ छोड़ ऐसे न रूठ कर गया होता
वरना आज मैं जिंदा होता,,,,,,
बेशक मेरे जाने के बाद लोग मुझ पर
हजार सवाल उठा मुझे कमजोर बता
बहुत से कहानी बना मुझे सुर्ख़ियो में लाए होंगे
मेरे जाने का हक़ीक़त कुछ और था
लेकिन वजह कुछ और दुनियां के सामने लाए होंगे
अपनों को छोड़ जाना आसान नहीं था
दर्द में उस रात मैं भी तड़पा था
सबसे नम आंखें मैं न छुपाया होता
वरना आज मैं जिंदा होता ,,,,,
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