Drama.... Queen ❤️   (M k)
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Joined 10 June 2020


Joined 10 June 2020
23 JUL 2022 AT 0:29


आज हार गई मैं खुद के आंसुओं से
इनका बहना लाजमी था ।
क्युकी दर्द जख्मों का जिस्म पर नहीं
दर्द का एहसास सीने में कहीं चुभा था ।
कातिल मेरे हर लब्ज़ आज
ख़ामोश मुस्कुराते दिखते है
शायद मेरा किस्सा अतीत से सौदा करता दिखा है.....

नीली स्याही का कोरे कागज़ को रंगीन करना
यकीनन उलझनों में डालने वाला था
शुक्र है उस शमा का पिघल जाना
हवाओं के झोकें से बच कर उस कागज को जला देना
परवाने के हर इरादों को उसने नकाम किया था ।
बदलता हुआ मेरा जमीर नजर आता है
शायद मेरा किस्सा अतीत से सौदा करता दिखा है......

समझ कर ना समझ लगती हूं मैं
मेरे लिए इश्क अब धोखे से लिपटा हुआ
लिबाज लगता है।
ख्वाबों के आशियां में ये शोर कैसा सुनाई पड़ता है ?
सांसों से रूठ कर एक हल्की सी मुस्कान
मेरे होठों पर बेखौफ संवरता है।
तस्वीरों का खेल ख़तम होते ही
हर इंसान मुसाफिर नजर आता है ।
शायद मेरा किस्सा अतीत से सौदा करता दिखा है.....

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20 JUL 2022 AT 22:21



मैं हूं ! मुझसे मेरी जिंदगी
कब , क्यों और कैसे सवाल उठाना गलत होगा
तक़दीर का धुंधला दिखाई पड़ना
हाथों के लकीरें कुछ कहते हैं ये भ्रम रखना
क्यों मान लूं मैं हकीकत
हर वक़्त मेरे आंखों से आंसुओं का जवाब मांगना .....

मुकद्दर ने क्या लिखा है ?
तकलीफों का एहसास मेरे साथ रहना
अब बहुत रुलाता है किस्मत
एक दिन मेरी सांसों को मुझसे रूठ जाना
कैसे संभाल पाऊंगी ख़ुद को मैं
हर वक़्त मेरे आंखों से आंसुओं का जवाब मांगना .....

दर्दों का पिटारा कम नहीं था मेरे पास
कुछ खालीपन सा महसूस हो रहा था मुझे
शायद उन ख्वाबों का ख्वाब ही रहना
सब कुछ अजीब सा लगता है जाने क्यों
मेरे लबों पर झूठी मुस्कान लाना
अतीत खामोश हो जाता है
हर वक़्त मेरे आंखों से आंसुओं का जवाब मांगना .....

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22 JUN 2022 AT 23:46

बन बैठी हूं आज मैं कातिल ख़ुद के जज्बातों का
अपने सांसों से रूठ कर क्या लिखूं मैं ?
अभी जिंदा हूं मैं खुद को जीतने की उम्मीद में
सारे इलज़ाम बेबुनियाद थे मेरे वक़्त के कटघरे में
आखिरी मुलाकात में मेरे अस्कों ने हंस कर कहा था
सब ठीक ही तो था , बस मैं गलत थी.....

कुछ यूं बिखरे पड़े थे मेरे किस्मत के पन्ने
हाथों में आकर कहीं छूट गए थे बनकर एहसास अपने
मालूम नहीं और न याद मुझे किसने जख्मों से वाकिफ कराया था
बदले - बदले से यहां हर इंसान नजर आता है
और मेरा दिल आहिस्ता से मुझे आवाज़ लगाता है
सब ठीक ही तो था , बस मैं गलत थी.....

कभी - कभी सहम सी जाती हूं कुछ इस तरह से मैं
मेरे अंदाज मुझसे शिकायत फरमाते है
प्यार के कस्ती में सवार थी अब नफ़रत के आग में
दफ़न रहती हूं , गहरी नींदों का पिटारा जो मिला था
कई अरसों से मैं जगी नहीं हूं अंधेरों ने मुझे जकड़ कर जो रखा था
सब ठीक ही तो था , बस मैं गलत थी.....

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7 JUN 2022 AT 12:25

" You are in my heart "

May be it was written In luck to meet you,
I couldn't see you but I felt something happened.....
I lost myself and became a traveler
I had to meet you in my soul .....

The fragrance of that perfume
Coming form your body
Had led me astray from my destination....
But after thinking about something,
I came back after two steps.
Any questions from me a time
Yes ! I smiled peacefully by making a picture of it ........

I got wrapped up in the darkness from that picture,
The rumbling cloud scared me
Thought for a while I should only talk to him ......
But the raindrops had come to
Wake me up from the dream ..........

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4 JUN 2022 AT 15:31

अभी कहने को तो चार कदम चली ही थी
तेरे संग इश्क के राह पर,,,,,,,,,,,,,,,
हैरत तो मुझे तब हुआ जब तुमने मेरे भरोसे को तोड़ा
क्या कहती मैं उस वक़्त ?????
आंखें सब बयां किये जा रहा था,,,,,,,,,,,,,,,,,

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28 MAY 2022 AT 22:39



अगर प्यार धर्म जाति देखकर किया जाता
तो हम भी देखकर दिल लगाये होते
अब दूरियां बढ़ने लगी
सांसे भी चलने से घबराने लगे
क्यों ये गलती हुई दिल सोच कर रोने लगा
रोक लिया होता खुद को तेरे
करीब जाने से क्यो मुझे मालूम न पड़ा
दिल तो बच्चा था अभी
ये सोचकर दर्द भी अब सहने लगा
मिलन की घड़ी तो आयापर मिल न पाये
दिल में दर्द जो बेहिसाब भरा था
मरहम उन दर्दों पर किसी ने नहीं लगाया
मुझे क्या पता था एक दूसरे से लिपट कर
हमेशा के लिए बहुत दूर हो जाना ही था
तोड़ दिया दिल उसने
मेरा हाल भी नहीं जाना ये दुनियां  बेरहम थी
मेरे दिल के गहराइयों में दबे
जख्म को देख भी न पाया
दिल तोड़ा तो क्यूं तोड़ा
बस इतना तो बता देते
सच्ची में कर लेती कोई बहाना
पर तुम कोई तो वजह देते  .....

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3 MAY 2022 AT 0:15

आखिरी मुलाकात तो हमारी हुई ही नहीं
अभी तो इश्क का खुमार छाया ही था
क्या कहूं ? अब मैं किसने मुझे रुलाया था
रात के अंधेरों में मैंने खुद को जो छुपाया था

बिना चिंगारी के मैं रात भर जलती रही
बात उसने मुस्कुरा कर जो मुझसे कहा था
भूल जाना ये सुनकर मुझे कुछ तो हुआ था
सिमट कर आंसुओं के बरसात में
मैंने खुद को जो हंसाया था

तेरा चले जाना अब बहुत अच्छा लगता है
झूठ के दुनियां में हर इंसान टूटा लगता है
कुछ पाया मैंने जो मुझे हर रोज़ संभाला करता है
ख़ुद को पाकर मैंने उसके यादों को जो मिटाया था

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6 APR 2022 AT 17:55

सांसों ने कहा मुझसे तुम दोस्ती मत तोड़ो
जीने की उम्मीदें तुम कायम रखो
पर दिल जानता था , जिस्मों का मिट्टी में मिल जाना
आंखों को कितना खटकता है .......😥

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2 APR 2022 AT 22:55

टूट गया वो सारे सपने
बनके ख़्वाब हकीकत में अपने
मैं क्यों चुप सी रहने लगी हूं
शायद उसे आज भी याद किया करती हूं...

नहीं , वो मेरा नहीं था
कुछ पल का साथ बस ऐसे ही मिला था
जैसे बनकर बादल मेरे आंखों में रुका था
दिल में एक राज आज भी दफन रखती हूं
शायद उसे आज भी याद किया करती हूं....

राहों में उससे एक दिन मिलना हुआ था
वो एक बंजारा इश्क़ के गलियों में मिला था
साथ निभाने का वादा मुस्कुरा कर जो किया था
मैं भी कितनी पागल कुछ समझ न पाई थी
पी कर गम के आंसू बहुत रोई थी
आज वक़्त ऐसा है मेरा ख़ामोश रहती हूं
शायद उसे आज भी याद किया करती हूं......


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1 APR 2022 AT 22:52

मुश्किल होता है किसी को अपने दिल से भुला देना
लेकिन नाममुमकिन भी नहीं .....

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