रात भर नींद नहीं आई उसे याद करने के बाद और वह हमबिस्तर कैसे हुआ होगा गैर के साथ मुझसे मोहब्बत करने के बाद, मिलने आयी अगले दिन तो बात की वफा और मोहब्बत की खुद बेशर्मी की हद से गुजर जाने के बाद और वह गले लगाने वाली थी मुझे तभी मैंने कहा बस कर रात भर मन नहीं भरा रक़ीब के साथ रात गुजरने के बाद!
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Tu kar mehant waqt tere saath hai saath hai mahadev kahde uspar maa ko tujpar bahut vishwash hai ,Waqt lagega par ho jaayega mat Maan haar itni jaldi kar tu fir sey prayas ek baar ,karega tu bhi kaamal ek din kar khood par vishwash ek baar!
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"Kuch toh hua hoga dhuaa aise toh nahi hua hoga ,aur jinke zabaan par sirf hamara naam tha ,shaam ki chai bhi jo peete they saath mai, aaj wey kisi gair key saath humbistar Kaise hua hoga"
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क्या हुआ जो हार गए, अभी सब कुछ न हार गए हैं, ये अदम्य साहस ठोस संकल्प को हार स्वीकार नहीं है ,ये जिंदगी एक रणभूमि है, संघर्ष से तुम मत डरो ,इतिहास गवाह है सब जानते है जिसने संघर्ष किया है वो महान हुआ हुआ हैं ,आंख मूंद लो ध्यान करो मन पर विजय पा लो तुम ,हरा न सकेगा तुम्हें कोई भी, जब तक.खुद से हार ना मान जाओ तुम!
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किसी के हिस्से मै मकान आई, आई हिस्से ज़मीन किसी के,मै घर मैं सबसे छोटा था मेरे हिस्से मै मेरी मां आई,और एक दिन आया था मैं बारिश मैं भींग कर रोते रोते ,मां ने फिर भी पहचान लिया आंसू को, लगाया गले से रोते रोते,स्वार्थ छिपा था औरों के प्यार मे सिर्फ मां का प्यार ही सच्चा था ,और देखी है लम्बी कतार बहुत मंदिर मस्जिद के आगे जिसने सर झुकाये नहीं कभी मां के आगे वह झुका रहा था सर एक पत्थर के आगे, और क्या.लिखूँ मैं मां तेरे लिए ,मेरी कलम मे इतनी ताकत नही बयां कर सके कोई मां को इतनी किसी की औकात नहीं, और सुला ले मां फिर से अपनी तू गोद मै, नींद आ जायेगी गहरी बहुत ,और तेरा लाल ही कहलाऊ हर बार बस यही आशीर्वाद देना हर युग मै !
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सारी रात उसे छूना से डरता रहा मैं बेबस बेचारा सिर्फ उसे देखता रहा और रात भर थी वह साथ मेरे ही बस सारी रात ज़िक्र किसी और का होता रहा और पढ़ रही थी खत् मेरे ही दिए हुए पर खत् मैं ज़िक्र किसी और का होता रहा!
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कि अब तो तुझे भूलने के लिए याद करता हूँ थोड़ा ही सही पर हर रोज कर्रा हूँ, और तू शहर में नहीं है मेरे फिर भी तेरी गली से गुजर रहा हूँ मैं और सुना है मांगती हो दुआ मेरी मौत की इसलिये बना लिया है घर मैंने कब्र के पास ताकि देर ना लगे तुझे दफन करने मैं मुझे मेरे मौत की बाद !
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हार कैसे मान जाऊँ ये तो बस शुरुआत है और इन्तेज़ार कर रहे थे मुहल्ले और रिश्तेदारों वाले ने मेरी हार की मैं भी खामोश रहा कुछ दिन सफलता तो समय मांगती है, और गायब हो गए मुहल्ले रिश्तेदारों वाले उस दिन से जब से देखी वर्दी मेरी तीन सितारों वाले!
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मुझे जो तुम समझते हो वो गलत है किसी दिन ये भी समझाना है तुमको, बड़ी सिद्दत से पाया था तुमको ठुकरा कर चली गई अपने रकीब के साथ, और तुम उस रकीब की भी ना हो सकीं जिसके लिए ठुकरा दीया था तुमने मेरा साथ,दुआ करूंगा खुश रहो हमेशा बस जो किया मेरे साथ जैसा वह मत करना किसी और के साथ और साथ मैंने भी छोड़ दिया था पर चुन्ना था मुझे वतन और मोहब्बत मैं से कोई एक पर मैंने रखा है हमेशा अपने वतन को पहले और मोहब्बत को बाद!
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काले और सफेद मैं श्याम वर्ण चुनूंगा, तुम सुदामा की तलाश मैं रहो, मैं मित्र कर्ण ही चुनूंगा, हू सूर्य पुत्र पर रहा हमेशा अछूत मैं, अगर ना दी होती वचन माँ कुंती को तो ध्वस्त कर देता पाण्डव पुत्र को ,नहीं हुआ कभी सम्मान मेरा अर्जुन की आड़ मैं समझा मुझे तुझ हमेशा वासुदेव कृष्ण ने, जानते थे मैं खाली हाथ नहीं लौटाते इसलिए मांग लिया मुझसे मेरा कवच और कुंडल ताकि बचा रहे अर्जुन का अस्तित्व, था भय नहीं अपनी प्राण की जानता था मेरी मृत्यु निश्चित पर दी थी वाचन मित्र दुर्योधन को,तुम कर लो गुणगान सुदामा कृष्ण की मैं तो मित्र कर्ण ही चुनूंगा I
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