किसी के हिस्से मै मकान आई, आई हिस्से ज़मीन किसी के,मै घर मैं सबसे छोटा था मेरे हिस्से मै मेरी मां आई,और एक दिन आया था मैं बारिश मैं भींग कर रोते रोते ,मां ने फिर भी पहचान लिया आंसू को, लगाया गले से रोते रोते,स्वार्थ छिपा था औरों के प्यार मे सिर्फ मां का प्यार ही सच्चा था ,और देखी है लम्बी कतार बहुत मंदिर मस्जिद के आगे जिसने सर झुकाये नहीं कभी मां के आगे वह झुका रहा था सर एक पत्थर के आगे, और क्या.लिखूँ मैं मां तेरे लिए ,मेरी कलम मे इतनी ताकत नही बयां कर सके कोई मां को इतनी किसी की औकात नहीं, और सुला ले मां फिर से अपनी तू गोद मै, नींद आ जायेगी गहरी बहुत ,और तेरा लाल ही कहलाऊ हर बार बस यही आशीर्वाद देना हर युग मै !
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