लफ्ज़ मेरी पहचान बनें तो बेहतर है साहब,,,,,,
चेहरे का क्या है, वो तो मेरे साथ ही चला जाएगा....!!!!!!-
जानती हू हर एक की असलियत
पहचानती हू हर एक की शख्सियत
परखती हूँ फिर भी हर बार अपने एतबार की अहमियत-
तुम ही बताओ तुम कौन हो..
हम कहेंगे तो.. हमारी ही शख्सियत बुरा मान जाएगी...-
मेरी शायरी में मेरी शख्स़ियत
तलाशने की कोशिश ना करें...
कोई जब कहता है,
के खुद को मेरी जगह रख कर सोचो,
तो सोच लेता हूं मैं....-
मेरी शख्सियत पर वो लोग सवाल उठाया करते थे...
जो खेतों में अपने अफीम उगाया करते थे।
-rajdhar dubey-
Aapke Alfaz Aapki Tarbiyat
Aapke Kirdar Aapki Shkhsiyat
Bayaan Karten Hain....-
कहने वालो ने तो उसे हीरा ( पत्थर) भी कह दिया
हम इस सोच से ना उभरे के आखिर वो कितना घिसा होगा-
सवालों के दरमियाँ उलझेंगे
.....मुश्किल होंगे जवाब ढूँढने
बिखरों को कैसे साथ समेटेंगे
बेकार लगे हर बार
कोशिश कितनी और कर जाएँगे
.....पहचाने नहीं अपनी शख़्सियत
किसी और से क्या रूबरू हो पाएँगे-
मिरी शख़्सियत को अब गुमनाम ही रहने दो
मुझे वो ही न जान सका जिसे मैं जान कहती थी-
Ye Nahin Hai Ke Wo Hai Chaand Se Chehre Wala...
Wo Mera Ishq Hai Sada Si Shakhsiyat Wala...-