अंकगणित सी हुई जिंदगी ,
बीजगणित सी शाम ...
रेखाओं में खिंची हुई है ,
मेरी उम्र तमाम ...
भोर किरण में दिया गुणनफल ,
सुख का दु:ख का भाग ...
जोड़ दिये आंखो में आँसू ,
घटा प्रीत का भाग ...
प्रश्नचिन्ह ही मिले सदा से ,
मिला ना पूर्णविराम ...
अंकगणित सी हुई .....
जन्म मरण के ब्रैकेट में ,
ये हुई जिंदगी कैद ...
ब्रैकेट के ही साथ खुल गये ,
जीवन के ये भेद ...
- पंडितआदित्यशुक्ला ' मानसप्रेमी '
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