देवकीनंदन का शोर, नंद के किशोर तुम
नंद के किशोर, जग के माखनचोर तुम
लाडले छोटे कन्हैया, दाऊ के छोटे भैया तुम
जमुना के तट का किनारा, शेषनाग कि सैया तुम
ग्वालों के प्रिय, राधा के प्रियतम तुम
छलिया मोहन, रूप के अनुपम तुम
शीश पे मोर पंखी का ताज़, ब्रज वालों कि नाज तुम
अधर्मी शत्रुओं का संघर, होठों पर बंसी का सार तुम
देवकी के लाल, जग के पालनहार तुम
द्रोपदी के भैया,"वीर" कि नाव के खेवैया तुम
वासुदेव, देवकीनंदन, यशोदा लाल तुम
द्वारकाधीश, गोपालकृष्ण, पालनहार तुम
राधामोहन, मुरलीधर, कन्हैया कहुँ या कृष्ण
हे गिरधरगोपाल, मेरे श्याम मेरे "माधव" तुम!!
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