MUHAMMAD AMAAN IRFAN   (✍.️ink no.21)
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Joined 24 October 2021


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Joined 24 October 2021
12 NOV 2021 AT 21:46

अब तो अपने कलम को साफ करो,
अब और मत मुझे बदनाम करो,
चलो माना कलम किसी और के नाम की है,
पर यें फटी हुई एक कागज़ तो मरे नाम करो,
तुम्हारी यें कलम मेरे बारे मे क्या जानती है,
हाथ तो असल तुम्हारे है इस बदनामी मे,
यें कलम तो बस लिखना जानती है,
मुझ पर एक एहसान करो,
अब और मत मुझे बदनाम करो,
वो जो कागज पड़ी है उसे मेरे नाम करो,
अब मेरे वास्ते कुछ काम करो..
~अमान

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12 NOV 2021 AT 21:25

तुम्हे मुझसे मतलब नहीं,
यें मैं बेहतर जानता हूं,
वो अलग बात की,
मै कुछ कहता नहीं,
क्युकी तुम्हे मैं अपना मानता हूं,
वजह जो भी हो, बस मै इतना जानता हूं,
बस सुनना है,सहना है,
क्युकी मै तुम्हे अपना मानता हूं....

~अमान

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5 NOV 2021 AT 23:42

Agar aapko koi hurt karta hai,
Firbhi aap usse baat karte ho,
That means,
Aap se sachcha or aap se achcha koi bhi nhi.

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5 NOV 2021 AT 19:09

उन्ही को मैंने दूर किया,
जिनको मुझसे प्यार था.

उनके पीछे लगे रहें,
जिनके नजर मे मैं बेकार था.

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3 NOV 2021 AT 13:58

काफी पुरानी बात है,
हम और तुम साथ है,
बहुत सुहानी रात है,
वो मीठी मीठी बात है.

ना रहा साथ तुम्हारा ना रही वैसी रात,
बस काट रही हूं जिंदिगी लेकर बची हुई कुछ सांस.

वो एहसास वो जज्बात,
कुछ भी ना रहा मेरे साथ,
यें क्या हुआ है मेरे साथ,
कुछ भी नहीं है मेरे पास..

यह कैसी रात है,
बहोत बकवास है,
परछाई तक नहीं मेरे पास है,
वजह क्या है इस अंधेरी रात की,
रहने दो,
काफी पुरानी बात है.

~अमान

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3 NOV 2021 AT 9:10

तुम्हें हम भूल जाएंगे,
नजर अब हम ना आएंगे,
तुम्हारी यादों को कब्र में गढ़ा आएंगे,
तुम्हारी बेवफाई को हम ना भूल पाएंगे,
कभी ये सोचना भी मत आवाज हम तुम्हें लगाएंगे,
भले हम मर जाएंगे तुम्हारे पास ना आएंगे,
तुम्हारी यादों को ऐसे मार डालेंगे,
तुम्हें हम भूल जाएंगे खुद को मार डालेंगे,
ना कोई आत्मा होगी ना कोई जान भी होगा,
मेरा यें जान का लेना,
तम्हारे नाम का होगा....

~अमान

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2 NOV 2021 AT 14:32

No, man.....
Plz, say.....
If backspace were this world...
So i would to spacing back this world...
And,
End the existence of life's......
That's right....
Man....

~ DEVIL😈

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2 NOV 2021 AT 14:08

उसी ने मुझको सताया है,
जिसके प्यार में मैंने सबकुछ गवाया है,
गलती उसकी नहीं मेरे तकदीर की है,
जिस जिसको मैंने चाहा उसी को गवाया है,
किस्मत की भी क्या खाता,
मैंने खुद से ही सबकुछ गवाया गवाया है,
एक सवाल उससे, जिसने मुझे बनाया है,
क्यों, मैंनेही सब कुछ गवाया है,
तुझे कुछ कहने से तो रहा नहीं,
तो फिर क्या, इल्जाम मैंने अपने ही तकदीर पर लगाया है,
पर क्यों-क्यों-क्यों, मैंने ही सब कुछ गवाया है.

~अमान

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31 OCT 2021 AT 13:29


एक दिन सबको मर जाना है.
किसके पीछे भाग रहे,अब तक अंधेरों के साथ रहे.
जिसने तुमको जान दिया, उसी का तुमने अपमान किय.
तुम्हें तो कुछ भी गौर नहीं,
दिए हैं तुमने दुख के सिवा कुछ और नहीं.
बहोत हुआ अब और नहीं,
तुम्हारा कोई जोड़ नहीं.
एक दिन सबको मर जाना है,
सभी को आसमा पर आना है,
पानी को बह जाना है.
~अमान

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31 OCT 2021 AT 0:01

मेरी कलम इन्साफ लिखती है,
हर बात साफ लिखती है.
कचहरी जाओ तो पता चले,
वहा तो इन्साफ बिकती है,
मेरी कलम साफ लिखती है.
कुछ लोग हमें आकर कहते है,
अमान,तुम्हारी कलम हर बात लिखती है,
तो फिर कैसी सोर है मोहल्ले मे मेरे,
मेरी कलम जात लिखती है.
कर चुके बदनाम, लेकर जात का नाम,
भूलो मत,इंतज़ार करो,
मुझे चीज़े साफ दिखती है
मेरी कलम हर बात लिखती है.
~अमान



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