किताब-ए-ज़िन्दगी
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मोह से माया तक...
जन्म से मरण तक ....
मेरी बाते कुछ आप तक✍️✍️
घर में गम और खुशी की थोड़ी उलझन है
पापा और घर की लाड़ली दीदी मेरी दुल्हन है
-क़िताब-ए-ज़िन्दगी-
मेरा प्यार तो मुझसे ही खफा चल रहा है💯
शहर में देखा प्यार का सप्ताह चल रहा है💔
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सच्चा लिखा कुछ प्रेम ऐसे ,
जैसे खुदा की इबादत हो ।
हकीकत भी हो जाए,
अगर आप की इजाजत हो।❣️
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ग़म ,कश्मकश भरी जिंदगी है ,
कौन ही उसमे अभाव लाएगा ?
सांत्वना के फूल सब लाते है
कौन ही
प्रेम का उसमे गुलाब लाएगा
✍️❤️
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जो दुःख मे खुशी वाली आशा हैं
प्रेम भाव है ,जिसकी ना परिभाषा है
उसके ग़मो में हमारी भी निराशा है
प्रेम भाव हैं, इसकी ना परिभाषा हैं
बिना सब कम हैं, उसका साथ ज्यादा हैं
प्रेम भाव है , इसकी ना परिभाषा है
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उड़ता हुआ परिंदा था मुझमें
हारा हुआ पर शख्स जिंदा था मुझमें
लिखता गया नफरत जब से
प्यार का प्रेमी जो शर्मिंदा था मुझमें
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भूमि की गहराई से निकले स्वर्ण
भावों की गहराई से निकले वर्ण
हमेशा उच्च मूल्य के होते है
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