एक बेटी को सबने ठुकराया
उसके मन को किसी ने पढ़ ना पाया
हर बार उसे ही आजमाया
उसकी हर कोशिश पर उंगली उठाया
उसके हर बातो को गलत ठहराया
उसने तो बेटी होने का कर्ज निभाया
पर ये समाज ये घर, ये परिवार
हर किसी ने उसपर जोर चलाया
हर बार सब ने उसे ही समझाया
क्या गुनाह है एक लड़की का लड़की होने में
पर ये बात कोई भी समझ ना पाया
इस स्वतंत्र देश में
हर बार एक लड़की को ही गुलाम बनाया
जब जरूरत थी उसको एक हमदर्द की
तो हर किसी ने उसको अपना दर्द बताया
पर उसके मन को किसी ने ना समझ पाया
एक बेटी को सबने ठुकराया!-
9 MAY 2020 AT 17:04
15 JAN 2021 AT 1:08
ना लिखूंगा ग़ज़ल ना जख्म दिखाऊंगा....!
ना तू समझाना और ना मैं समझाऊंगा...!!-
27 AUG 2019 AT 13:13
Aap Kitna Bhi Kosis Kar Lo Samjhane Ki,
Lakin Us Insaan Ko Kabhi Nahi Samjha Sakte...
Jo Sahi Galat Ka Fark Jaante Huwe Bhi,
Galat Raste Pe Chalna Suru Kar Diya Hain...-
14 JAN 2021 AT 0:43
मेरे इश्क़ की जिस को जरा भी कदर न थी
मैंने आखिरी गजल भी उसके नाम लिख दी-
13 APR 2020 AT 18:52
AGar Matlab samjh m tumhe aa jati..!
Toh ye bematlabi baatein
matlabi na ho jati..!!-