Vo Shaksh hi ky,
Joh Shakhsiyat n ho.
Vo Insaan hi ky,
Jisme Insaaniyat n ho.
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I have one question :-
aakhir kitna chahna padta hai
ek shakhsh ko ki vo hmara ho jaye !!-
जिसके लफ्जों में
हमें अपना अक्स मिलता है,
बड़े नसीबों से
ऐसा कोई शख्स मिलता है..।।♥️-
कदर ना करने पर
ऊपर वाला छीन लेता हैं...!
जनाब
वक्त भी...और...सख्श भी...!-
क्यों ढूंढता हूँ जमाने मे तेरे अक्स सा सख्स
जबकि है ही नही सपनों में भी तेरे सा अक्स
फ़िरदौस
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जीसे समझ रहे हो तुम हकीकत वो तो तेरा महज एक ख़्वाब है,
इतरा रहा है जिस सख्स पर तू ओ साहेब उसके लिए तो कोई और खाश है-
जिसकी आंखो में मुझे मेरा ही नक्श मिलता है
बड़े नसीबो से हमें ऐसा शक़्स मिला करता है
संभाल कर रखना इस अज़ीम तोहफे को अख्तर
वरना ऐसा इंसान तो सिर्फ किताबों में मिला करता है-
Khubsoorat hona hi kafi nahi hota
Uss sakhs ka hona bh jaruri he
Jo aapki saadgi byaa kre
Husn ka hona hi kafi nhi hota
Uss sakhs ka hona bh jaruri hota he
Jo aapke husn ki umar bit jaane
Par bh mohabbat kre-
क्या करें उस शख्स का
जिसे हर कीमत पे वापस लाना चाहते हैं
पर ला नहीं सकते
क्या करें उस दर्द का
जो हर वक्त चीरता हो दिल को
पर करहा नहीं सकते
क्या करें उस याद का
जो उसके साथ गुजारे लम्हो में ले जाती है
जिनको अब भुला नहीं सकते
क्या करें उन स्वप्न का
जो देखे थे कभी उसके साथ जीने के
जिनको अब हकीकत बना नहीं सकते-
किस नाम से पुकारू
उस सख्श को ।
जो पत्थर की बारिषो में
भी तन्हां खड़ा देखा।।-