घर की जरूरतें पूरी करने में साहेब,
खुद की ख्वाहिशों को दफन करना पड़ता है...-
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"ना धोखा खाया है किसी से ना ही हारा हू... read more
तेरे इश्क़ में मैं इतना हद से आगे बढ़ जाऊं,
साहेब आखिर में बस तेरे साथ निकाह पढ़ पाऊं-
क्यों तमाशा करूं मैं अपने हाल का यहां साहेब..
यहां पर लोग मरहम से ज्यादा हाथों में नमक लिए बैठे.-
आज की रात वो किसी गैर के घर पे काट आया है,
साहेब मेरे हिस्से का वक्त वो किसी ओर के साथ बांट आया है..-
खुश कर तू साहेब अपने ख़ास अजीज को,
अब बेशुमार मोहब्बत दे तू मेरे रकीब को...
अधूरी मोहब्बत, अधूरी कहानी है मेरी
अब चाह कर भी बदल नहीं सकता मैं अपने नसीब को-
इश्क मोहब्बत बेकार की बाते...
इसमें होती है बरबाद राते...
साहेब कौन अपना कौन पराया
जहां देखे फायदे वहां ही है ये रिश्ते नाते-
जो तुम समझो तो पाकीज़ा है ये मोहब्बत मेरी,
हो जाऊं तेरे हद से करीब जो हो इजाज़त तेरी,
थाम के हाथ मेरा तुम साहेब मेरे बन जाओ
फिर सजदे में सर झुकाऊं साथ तेरे तो पूरी हो इबादत मेरी..-
कोशिश करता रहा वो साहेब उम्र भर मुझे बदलने की...
अब बदल गया हूं तो कम्भख्त ताने देता है....-
बना चुके हो तमाशा मेरी मोहब्बत का,
अब मेरी मौत का भी बना देना,
मर जाऊंगा एक दिन तेरी नज़र अंदाजी से
साहेब तुम इसका इल्ज़ाम उस खुदा पर लगा देना-
कश्मे वादे,रिश्ते नाते मुझे सारे टूटे लगते हैं,
इश्क मोहब्बत की बातें करने वाले मुझे सारे शख्स झूठे लगते हैं,
निभाते नहीं कोई साथ यहां उम्र भर का साहेब
मुसीबत में भी यहां अपनों के हाथ अपनो से छूटे रहते हैं,-