કાગળને હું કોરો મૂકી
ક્યારેક એવુંય ઝંખી લઉં,
હાથ તારો લંબાવે તો
સ્પર્શનું કાવ્ય લખી લઉં..♥️-
📌दिल की बुरी नहीं हूं ;
बस....
लफ्ज़ों में थोड़ी शरारत लिए फिरती हूं।।... read more
हर सजदे में,
हर झुकते सर में ।
मैंने जिद सिर्फ
तुझे पाने की ही की है ।।♥️-
मत पूछ ए हमनवां
कितनी अहमियत है तेरी..।
मेरे हरिद्वार से मन में,
गंगा जितनी कीमत है तेरी..।। ♥️-
जब बचपन तुम्हारी गोद में आने से कतराने लगे,
जब माँ की कोख से झाँकती ज़िन्दगी,
बाहर आने से घबराने लगे,
समझो कुछ ग़लत है।।
जब तलवारें फूलों पर ज़ोर आज़माने लगें,
जब मासूम आँखों में ख़ौफ़ नज़र आने लगे,
समझो कुछ ग़लत है।।
जब ओस की बूँदों को हथेलियों पे नहीं,
हथियारों की नोंक पर थमना हो,
जब नन्हें-नन्हें तलुवों को आग से गुज़रना हो,
समझो कुछ ग़लत है।।
जब किलकारियाँ सहम जायें
जब तोतली बोलियाँ ख़ामोश हो जाएँ
समझो कुछ ग़लत है।।
कुछ नहीं बहुत कुछ ग़लत है
क्योंकि ज़ोर से बारिश होनी चाहिये थी
पूरी दुनिया में
हर जगह टपकने चाहिये थे आँसू
रोना चाहिये था ऊपरवाले को
आसमान से
फूट-फूट कर
शर्म से झुकनी चाहिये थीं इंसानी सभ्यता की गर्दनें
शोक नहीं सोच का वक़्त है
मातम नहीं सवालों का वक़्त है ।।
अगर इसके बाद भी सर उठा कर
खड़ा हो सकता है इंसान
तो समझो बहूत कुछ ग़लत है।।
(प्रसून जोशी)
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પ્રશંસા થશે તારી પણ તું સહેજે હરખાતો નહી,
ટીકા પણ થશે તારી તું સહેજે ગભરાતો નહી,
અનુભવો ને છોડી તારા તું બીજાના રસ્તે ચાલતો નહી,
માણસે માણસે બદલાશે તારું મૂલ્યાંકન તું સહેજે બદલાતો નહી..😊-
जिसके लफ्जों में
हमें अपना अक्स मिलता है,
बड़े नसीबों से
ऐसा कोई शख्स मिलता है..।।♥️-
जाने वो कैसे..
मुकद्दर की किताब लिख देता है,
साँसे गिनती की और..
ख्वाइशें बेहिसाब लिख देता है..।।♥️-
તું મળે તો ઉજાસ થઈ જાશે,
આંખનો પણ વિકાસ થઈ જાશે.
ચાલ તારા વિચારમાં આવું,
એ બહાને પ્રવાસ થઈ જાશે.
એમ માનીને રોજ જીવું છું,
કાલે દુનિયા ખલાસ થઈ જાશે.
એક દિ’ આ બધાં સ્મરણ તારાં,
મારી ગઝલોના પ્રાસ થઈ જાશે.
એને મંદિરની બ્હાર ના કાઢો,
ખાલી ખોટો ઉદાસ થઈ જાશે..♥️
-મિલિન્દ ગઢવી-