सारे जहाँ में ना होगा कहीं,
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं।
तुम्हें देख के यूं लगता हैं जैसे
मिला बे-सहारे को सहारा कोई
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं
मैंने तुम्हें जब से चाहा तो जाना
तुम हो तो मैं हूँ वर्ना नहीं
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं
मैंने तुम्हें अपना माना हैं जब से
तब से मुझे खुद का होश भी नहीं
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं
तुम मिल गए हो तो यूं लगता हैं
झरने को जैसे मिली हो नदी
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं-
اور جب یہ محبت دھوکا دیتی ہے
تو فقط عبادت ہی سہارا دیتی ہے۔
और जब यह मोहब्बत धोका देती है
तो फ़कत इबादत ही सहारा देती है।-
बिन मांझी के नाव को,
यहांँ देता कौन सहारा...
बिन तुम्हारे ओ मेरी सजनी...
मैं बन गया बेचारा....-
Tut chuki hu puri,
Khone ko kuch baaki naa rha...
Dil ke tukde tukde kar diye usne,
Jeene ka koi sahara naa rha...-
Meri andheri ratoon ka tu savera ban gya.
Meri zindagi me aaya hai tu kuch is tarah jese kabar me padi laash ko saanson ka Sahara mil gaya..!!-
Meri dubti huyi kasti ko kinara mil gaya
Tum mile jine ka sahara mil gaya
Ab chah kar bhi mar nahi payenge hum
Is dil ko humare jine ka ishara mil gaya
Meri dubti huyi kasti ko kinara mil gaya
Tum mile jine ka sahara mil gaya
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तेरी डूबती कश्ती का सहारा बनूँ साहिल थोड़ी हूँ
फिर से तुझसे मोहब्बत करूँ ज़ाहिल थोड़ी हूँ-
कोई कश्ती या फिर कोई किनारा मिल जाए
डूबते को तिनके का सहारा मिल जाए
जब पूरे नहीं करने थे तो क्यों दिखाए सपने
उससे पूछूं अगर वो मुझे दुबारा मिल जाए
उसके लिए तो मैं लड़ जाऊं जमाने से मगर
वो मेरी है बस इतना सा इशारा मिल जाए
जिसे पाकर होती है मेरी दुनिया रोशन
काश मेरी किस्मत का वो सितारा मिल जाए-