तेरी मदहोश नज़रों से जो घायल हुआ होगा,
मुझे नहीं लगता वो कहीं भी पहुँच पाया होगा..!!
😍❤️😍-
स्त्रितत्व पूजनीय है...तृप्त है ये शब्द भी
अपने आप में
विस्तृत है...
पूर्ण है...
वो नवपल्लवित है।
पुरुषत्व बाधा है।
स्त्रैणता ही आध्यात्मिकता है।-
I embarked on a solo trip to the hills in the winter of 2014 with an aim to find myself. Introspect.
I was never an adventure freak. I dreaded climbing mountains.
But, that cold winter morning, I chose to.
The snow welcomed me with open arms. 13000 feet above sea level, I experienced what the beauty of life truly is.
Life is all about taking chances.
Had I not undertaken the journey to climb the mountains of Rohtang, I would never have been able discover its beauty and find the true purpose of my trip.-
मनाली की वादियों में
Solang के जंगलों में
देवदार और रई की खुशबूओं में
नदी के शोर में
पहाड़ों की ओड़ में
एक अपनापन सा है जो
मुझे घर की याद दिला रहा है..!
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तस्वीरें लेना भी जरूरी हैं ज़िंदगी में,
आईने गुजरा हुआ वक्त नही बताया करते..😊-
वर्फ़ की तलाश में,
हम आ गये पहाड़ पर,
न वर्फ़ मिली न चखना मिला,
मिली तो खाली बोतलें,
अब आ ही गये रोहतांग
तो सोलंग घाटी हो चलें।-
देखा था जिन पहाड़ों को अलग - अलग पुस्तकों में
पढ़ा था जिन पहाड़ों को संस्मरण और यात्रा वृत्तान्तों में,
सामने से देखकर लगा जैसे
मानो जीवन थम सा गया हो,
इसके आगे अब कुछ शेष नहीं
मानो यही जीवन का अंतिम क्षण हो।
एक सुकून, एक संतुष्टि और समर्पण ईश्वर के प्रति
जिसने इस दिन को दिखाया,
जी कर रहा था जैसे अब रुक जाऊं यहीं
इससे अच्छा जीवन का अंत और क्या होगा?
प्रियतम, प्रियस्थल और ये बर्फीला पहाड़।
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