Ajey Mehta   (अजेय महेता)
2.0k Followers · 368 Following

Joined 12 October 2018


Joined 12 October 2018
27 JUN AT 8:52

अपने शुद्ध ब्रह्म स्वरूप का बोध पाना मोक्ष है वो समझ के कोई "मैं" की सीमाएं लांघ चल पड़ता है,
वो पथ पर...
अचेत
अपरिचित
अबोध

वो पगडंडी भी कहा पहुंचाती है
परमपद पे...

मोक्ष एक स्वप्न है जिसमें रोज "पनीर बटर मसाला" का साक्षात्कार होता है।

-


23 JUN AT 8:52

मैं सहज...
अब मैं सवार हूँ उसकी खुली फैली हथेली पर...

सुनो… मैं पहली बारिशों में भीगना नही छोडूंगी,
जिस दिन तुमपे उसकी एक बूंद गिरेगी
तुम उस दिन जानोगे कि लगातार बरसते
धुँधले बादल ,प्रेम में भीगी शीशे की चिट्ठियाँ होती हैं।
और शीशे पर बहते पानी-सा
बहता है तुमसा पहाड़
एक जन्म-जन्मांतर का बेघर तपस्वी
फैलाई नज़र जिसने मेरी ओर


इसी लिए मैं कहती हूँ कि एक और बारिश होती है
दो बारिशों के बीच।

-


9 MAY AT 19:05

.









.

-


8 MAY AT 8:12

कहदो कोई
ओस की बूँदों से
अब खत्म हुई तिमिररज
आज,
उनमें पनपी बसंत पर;
क्यों मैं पतझड़ बन झड़ूँ?
उस छुवन का अहसास
ऐंठन कर
कही
बिछा लूँ...
ओढ़ उसे ही
कुछ सो लूँ मैं...?

-


5 MAY AT 19:12

.








.

-


4 MAY AT 19:19

.










.

-


2 MAY AT 20:57

कलम की सियाही खत्म होने से पूर्व
मुझे चुन लेना चाहिए
एक उत्तराधिकारी 
सौंप देनी चाहिए अपनी अधूरी कविताएँ
और अब
मैं घोषित करती हूं
वसीयत में अपने मनपसंद वारिस का नाम
कुछ त्यजी हुई
रूहानी निब
तोड़ते हुवे

लेकिन अभी सुना, वो दृष्टिहीन है...

-


30 APR AT 21:02

अमूर्त शब्दों से मैं सहमत नहीं हूं ,और इसलिए मैंने उन शब्दों की एक छोटी सूची बनाई है ...जो मेरे लिए अर्थपूर्ण नहीं हैं।

और यही कारण है कि मेरे द्वारा शायद ही कभी "आत्मा" जैसे अस्पष्ट शब्दों का उपयोग होता है।

-


29 APR AT 18:57

वो मुक्त करता रहा
मैं बँधती रही...

फिर एक दिन ...मैं
जीर्ण शीर्ण क्या हुई
ये सफेद कुर्सी की तरह...

पूरा कस्बा बूढ़ा हो गया...

और वो छूट गया।

-


27 APR AT 21:07

तू अगर मुझमे ही है
तो
जिसे मैं ढूँढती हूं...

वो कौन है?

-


Fetching Ajey Mehta Quotes