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कब तलक
मोहलत मांगते फिरते तुझसे,
उधारी पर भी तो ब्याज चुकाना पड़ता है..!
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Gulshan Thakur
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Joined 15 August 2020
17 MAY 2021 AT 21:05
28 FEB 2021 AT 20:33
भूल गए है
कि कौन हूं असल में,
मुझे एक अलग पहचान दे रखी है...!
क्यों..😔-
20 FEB 2021 AT 22:37
नीलाम होकर बिक जाते है
आसमान से धरती पर
पल में उतर जाते है
एक दाव के खेल में
फिसल और संभल जाते है,-
22 DEC 2020 AT 23:28
कि मैं भी मिल जाऊं
इस धूल, मिट्टी, हवा-पानी में कहीं,
शेष अब अवशेष रहना चाहता हूं..!
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20 DEC 2020 AT 10:44
अंधेरे में आहटों पर
गौर करता हूं तो,
कुछ राहगीर
अपने साथ होने का
इशारा करते है..!-
18 DEC 2020 AT 10:01
बस एक कहानी रह गई है ये
कि हमने भी चेहरे पर तस्वीर रखकर
प्रदर्शित कर लिया है जिंदगी का रुख..!-
17 DEC 2020 AT 21:49
जलती हुई लाशें, उठता धुआं
यही दिख रहा है
सपनो में मुझे,
मेरे सपने भी धीरे- धीरे
जलने लगे है अब..!
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