Gulshan Thakur  
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Joined 15 August 2020


Joined 15 August 2020
17 MAY 2021 AT 21:05

,
कब तलक
मोहलत मांगते फिरते तुझसे,
उधारी पर भी तो ब्याज चुकाना पड़ता है..!

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28 FEB 2021 AT 20:33

भूल गए है
कि कौन हूं असल में,
मुझे एक अलग पहचान दे रखी है...!
क्यों..😔

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20 FEB 2021 AT 22:37

नीलाम होकर बिक जाते है
आसमान से धरती पर
पल में उतर जाते है
एक दाव के खेल में
फिसल और संभल जाते है,

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19 FEB 2021 AT 18:15

दर्द ने ओढ़ लिया है
लिबास की तरह,
अब उतारा ही नहीं जा रहा..।

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9 JAN 2021 AT 20:36


कुछ शरबतों के जाम पीकर
वो अपनी जुबान और ईमान की
कीमत बता गया..!

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22 DEC 2020 AT 23:28

कि मैं भी मिल जाऊं
इस धूल, मिट्टी, हवा-पानी में कहीं,
शेष अब अवशेष रहना चाहता हूं..!

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20 DEC 2020 AT 10:44

अंधेरे में आहटों पर
गौर करता हूं तो,
कुछ राहगीर
अपने साथ होने का
इशारा करते है..!

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18 DEC 2020 AT 10:30

इस खेल में हम खिलौने है
हर बार ठोकर खाना,
अब आदत होनी चाहिए🤗

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18 DEC 2020 AT 10:01

बस एक कहानी रह गई है ये
कि हमने भी चेहरे पर तस्वीर रखकर
प्रदर्शित कर लिया है जिंदगी का रुख..!

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17 DEC 2020 AT 21:49

जलती हुई लाशें, उठता धुआं
यही दिख रहा है
सपनो में मुझे,
मेरे सपने भी धीरे- धीरे
जलने लगे है अब..!

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