Sharad Yadav   (शरद सौम्य)
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Lecturer,poet,
Joined 14 May 2018


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Joined 14 May 2018
27 JAN 2024 AT 9:32

छोटे शहरों में संभ्रांत मोहल्लों के आसपास खाली पडी जमीन पर दूर दराज के तमाम गाँव आकर बैठ जाते हैं और आपस में बातें करते है,शिक्षा की, बुनियादी सुविधाओं की और कोशिस करते है की उनका जीवन स्तर शहर के मापदंड को प्राप्त हो।लेकिन इसमें इन गाँवों की पीढ़ियाँ खप जाती है और इनके बहुत छोटे हिस्से ही मुकम्मल शहर हो पाते है। ज़्यादातर गाँव फँस जाते है नशे के दलदल में, खो जाते है बाजर की चमक में,आधुनिकता की आँधी में और आखिर में उसी शहर में भटकते है रेहड़ी बनकर या बैठ जाते है उसी चमकते बाज़ार में एक दुकान बनकर। जब इन गाँवों का इस छोटे कस्बों से मन उचटता है तो वे भागते है और बड़े शहरों की और बन जाते है झुग्गी बस्तियाँ, फिर वो कभी नहीं बन पाते है एक मुकम्मल गाँव या शहर!

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25 JAN 2024 AT 13:50

जिस्मानी ना-अहल को तो तमाम सहूलतें
मग़र उसकी जहनी मा'जूरी का क्या कीजै

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20 JAN 2024 AT 17:44

अब कहाँ किसी को डसती है तन्हाई
बस पैसा, डेटा और उंगलियां सलामत रहें

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3 JAN 2024 AT 17:56

आग की खोज से पहले
ठण्ड कितनी ठण्डी रही होगी।
खेत में कोई किसान रहा होगी
फटी उसकी बंडी रही होगी।
ठिठुरता कोई मजदूर रहा होगा
रीती उसकी हांडी रही होगी।
कोई सैनिक युद्ध मे होगा
तलवार कितनी ठण्डी रही होगी।
व्यापारी रजाई में ऊँघते होंगे
सूनी पड़ी मंडी रही होगी।
आग की खोज से पहले
ठण्ड कितनी ठण्डी रही होगी।

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1 JAN 2024 AT 12:15

ना हाल नया न चाल नया है
ना भारत का भाल नया है
फिर कैसे कहोगे साल नया है?
संगमरमर के मंदिर- मस्जिद
त्रिविमीय तस्वीरों के सेल्फी पॉइंट
क्या रैनबसेरों का तिरपाल नया है?
सीमा पर जो शहीद स्मारक
अपनी घर या वफर जोन है
क्या लाल आँख का हाल नया है?
अब कैसे कहोगे साल नया है?
जलती लाशों के बीच सोता बुज़ुर्ग
नये भारत का अलाव नया है!
कोर्स अधूरा,काम पूरा
साहब पूछें परीक्षा कब है?
नई नीति का भौकाल नया है!
फिर कैसे कहोगे साल नया है?

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8 OCT 2023 AT 22:09

कभी खुशी तो कभी ग़म देगा मग़र
ये जीवन सर उठाने के मौके कम देगा!
गाँव में हो तो खुले आँगन में
बिछी चारपाई पर लगी मच्छरदानी
से खुले आसमां में सजे चाँद सितारों को
जीभरकर निहार लो क्योंकि आगे
ये जीवन सर उठाने के मौके कम देगा।

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2 SEP 2023 AT 6:53

इस कंक्रीट के नीचे की उर्वर माटी में
दबे बीज का अंकुर उबाल मारता तो है
न जाने ये शहर उसे मार डालता क्यों है
न जाने ये ज़हर उसे मार डालता क्यों है

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27 AUG 2023 AT 14:47

चाँद पहुँचे आदमी से
चाँद ने कुछ प्रश्न पूछें लाज़मी से।
मैंने सुना तुम आये हो
यहाँ खोजने को जल?
लेकिन तुम्हारी छत की
टंकी का खुला है नल!
कोई कह रहा था,
तुम यहाँ बस्ती बसाओगे?
उठता धुआँ तो कह रहा है
कि जल रहा है तुम्हारा घर।
पानी के साथ तुम यहाँ
आक्सीजन भी खोजोगे?
मैं देखता हूँ सब यहाँ से
धरा पर कटते दरख्तों को
तुम चाहते हो चाँद पर भी
जीवन फले, दुनियाँ बसे?
तो पहले धरा को विश्वास दो
हर प्राणि को जल मिले,हर जीव हेतु श्वास हो।
चाँद पहुँचे आदमी से
चाँद ने कुछ प्रश्न पूछें लाज़मी से।

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23 AUG 2023 AT 18:56

ये चाँद उस माँ, बहन, पत्नी को समर्पित जो
भूखे पेट बैठ, आटा बेलकर चाँद बना देती है
बधाई भारत, धन्यवाद ISRO🇮🇳

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6 AUG 2023 AT 19:21

दरिया सबके मित्र हैं
जल देकर जीवन देते हैं
मानव न उसका मीत हुआ
जल लेता है,मल देता है
और चल देता है।
वृक्ष हमारे सहजीवी है
फलते है तो झुक जाते है
हम ना उनके मित्र हुये
झुके वृक्ष से फल तोड़े
उसकी टहनी में लोहा जोड़ें
फिर उसी वृक्ष को हन देते है।
मानव,मानव का भी मित्र नही
उपभोग करे, उपयोग करे
छल प्रपंच करते-करते
जगत छोड़कर चल देता है।

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