मै शंखनाद वो अजान। मै दिवाली वो रमजान।
मै गिता वो कूरान। मै हिंदू वो मूसलमान।
यहा तक सबकुछ ठिक था,मै भी नेक वो भी नेक था।
फर्क कर गया कोई यैसा, मै भारत वो पाकिस्तान।
धर्म के तराजू मे देशभक्ती, तौली नही जाती।
जूबां से ,लहजे से नियत, बोली नहीं जाती।
जो जय हिंद ना बोले, वुनके साथ मसला है क्या?
और जो नापे वफादारी, इमान तूम्हारा फिसला है क्या?
साफ करो अपनी आखें, साफ करो खूदका गिरेबान।
जहर ना घोलो दोनो मरेंगे, मै भि इंसान वो इंसान।
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