यहां शून्य को भी
इस बात की चिन्ता है कि
कब, कहां, कैसे
किसी को कितनी
एहमियत देनी है,
मैं तो फिर भी लड़की हूं
परखूंगी तो सही
तुम पर मर मिटने से पहले
और इसके लिए वाकई
शर्मिंदा नहीं हूं !-
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🏡 Punjab
बुलंदियों पर
ले आए हैं मुझको
मन्नतों के धागे,
मोहब्बत
कैसी भी हो
माँ जैसी थोड़ी है
🌺-
दुर्गम रास्ता,पथरीला मंज़र,
असफलताओं की अनंत
देहड़ियां,
सहस्त्र ठोकरें
खा कर
.
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तुम आज की नारी हो!!!
(Read in caption)
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कभी किसी को व्यथा बताते बताते
खत्म हो जाती हैं पगडंडियां,
शब्द सिधार जाते हैं परलोक
फिर भी लगता जैसे मन हल्का नहीं हुआ
और कभी कोई यूं ही
समझ लेता है मौन
तब लगता है
स्वर्ग अगर कहीं है तो यहीं है
और यही है
आत्मा को परमात्मा कर देने
वाला प्रेम
❤-
संसार के सभ्य पुरूषों ने
जाना है, समझा है
सुबह को बोझिल उठती
स्त्रियों को,आग में पकते हर दिन
जिस्म की पिपासा को ;
सो हाथ बंटा दिया है
इन्होने चूल्हे-चौंके में,
घर को अपना घर समझ के।
निस्संदेह ही संसार के सभ्य
पुरूषों ने सिरजा है अस्ल में
प्रेम, गृहस्थी और
सभ्यता की
परिभाषा को ।-
कितनी बार निकालना चाहा
गुस्सा
कितनी दफा छोड़ना चाहा
भारीपन
लेकिन मुझसे सतत ही
चुना गया
या तो त्याग या तो
प्रेम
जिसमें पीड़ा निश्चित थी ।-
समय का रूख बदला जा सकता है
आकाश का कद नापा जा सकता है
और बनाया जा सकता है मेहनत
से भाग्य तक
पर यह एक मध्यमवर्गी परिवार का
लड़का जानता है कि
कभी नहीं लौटाया जा सकता
सादगी से न्योछावर किया हुआ
प्रेम और धन
और ना ही कभी टटोला जा सकता है ;
बहुत कुछ त्यागा हुआ
पिता जी का मन
🍃-
चांद देखा सबने
किसी ने दाग नहीं देखा
प्यार तक देखा फक़त
प्यार के बाद नहीं देखा "
खामियां चरा-गाह है
मुकम्मल इश्क की,
खामियों से बुझ कर जलता
किसी ने चराग़ नहीं देखा।
क्या देखा है फिर जिसने भी
देखा मुझको तन्हा
मेरी जान के सदके से मुझको
आबाद नहीं देखा।-