दुनिया में कितने ही लोगों को हम पसंद क्यों न हो
हमें अक्सर वही शख्स पसंद आता है
जो सबसे ज्यादा भाव खाता है-
(Please read karna)
*Guzri Hui zindgi ko kabhi
Yaad Na kar...
*Taqdeer mein Jo nahi likha
Uski faryaad Na kar...
*Ji hoga vo hokar hi rahega
Tu kal ki fikar mein
Aaj ki hassi Na
barbaad kar...-
शब्दों में भी...
आग होती है...
कभी अपने...
हक़ के लिए..
बोलकर .....
तो देखना....-
काल्पनिक दुनिया में खुद को घिरे रखने से अच्छा है हम वास्तविकता को पहचानें!
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सच कहूं तो.....
बचपन में ही जीया जाता था...
खुल कर हंस और रो लिया जाता था.....
अब तो खुद से ही, फासले बढ़ गए ...
चन्द डिग्रियाँ क्या मिली...
सिलसिले बदल गए ....
हंसने और रोने के तरिके बदल गए....
अब हंसते है चेहरें तो दिल रोता है...
आसूंओं को पलकों तक आने से...
पहले हर शख्स रोक लेता है...
खुलकर हंस लो तो दुनिया सिखाने लगतीं है...
हमें हंसने के सलीक़े बताने लगतीं है....
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मैं क़तरा क़तरा नोचूँगा तुम्हे
पर मेरा वादा है तुम्हे मरने न दूंगा
चीखों को समेट भी लूँगा चलचित्रों में
दर्द की ताक़ीद को भी बढ़ाऊंगा
पर मेरा वादा है तुम्हे मरने न दूँगा
कभी रंग में कभी भस्म की स्याही में उकेरूँगा
पर मेरा वादा है तुम्हे मरने न दूँगा
ज़मीर के ज़नाज़े पर संवेदना के फूल भी चढ़ाऊंगा
पर मेरा वादा है तुम्हे मरने न दूँगा
" उदन्त " बिकेगा ख़रीद फ़रोख़्त में बोली लगवाऊंगा
पर हाँ मेरा वादा है तुम्हे मरने न दूँगा ।।
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ख़्वाब जला के जज़्बात पका रहा हूं
रात के खाने में हक़ीक़त परोसूं गा।।-
पैसे की बौछार में लोग रहे हमदर्द
बीत गई बरसात जब मौसम हो गया सर्द
- बेकल उत्साही-
बेटियां
यूं तो हैं ,हम पराए सदा के लिए
कहने को हमारा अपना कोई घर नहीं
पर ये भी सच है कि,,,,,,,,
हमारे बिना भी कोई घर, घर नहीं
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