Suman Verma  
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Joined 22 March 2020


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Joined 22 March 2020
28 MAY AT 17:46

सुनो बाज़ार जा रहे हो.....

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21 OCT 2024 AT 16:07

हाथों में हाथ हो...
और वो मेरे साथ हो....
फिर तो मानों ....
पूरी काएनात मेरे पास हो ...
आए हाए फिर.....
क्या ही बात हो...

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21 DEC 2020 AT 18:48

ऐसे रुठों,
दुनिया से,
कि खुद से ,
मुलाकात,
हो जाए.... !

लड़खड़ाते,
गिरते,
संभलते,
ही सही,
मंजिल तेरे ,
पास हो जाए.... !!

खामोश रहे ,
बेशक ,
जुबान तेरी,
पर हैसियत,
से हर बात हो जाए...!!!
सुमन वर्मा... ✍

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26 NOV 2020 AT 19:54

उम्मीद की धुंध.....

बादलों में छुपा...
हल्का सा निकला...
उम्मीद की धुंध में लिपटा...

वो चांद....!!!
खुबसूरती बेसुमार ...
लिए बैठा है....

शायदृ... !!!
उसे भी मालूम है...
रोशनी हल्की सी ही सही....
आशाओं की है....

कम से कम...
किसी भटके मुसाफिर को...
मंजिल तक तो ले जाएगी...
मतलब के अंधकार...
से भरी दुनिया में...
कुछ किरणें अपनेपन की...
तो नजर आएंगी....

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25 OCT 2020 AT 19:06

ना कहीं .....
जाती है....
ना सहीं ....
जाती है...
कुछ बातें.....
अंदरूनी जख्म दे...
जाती है......

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23 OCT 2020 AT 16:50

नासमझ....
ओर नादान सा.....
एक शख्स...
मुझसे अपनेपन का...
रिश्ता रखता है....
दूर हो कर भी...
वो मुझमें अपना...
एक अनमोल....
हिस्सा रखता है....
समझदारी की....
लकीरों से...
बहुत परे है...
ये अहसास....
दिल से रूह का....
सुकून रखता है....

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20 OCT 2020 AT 19:48

""क्या महोब्बत को....
ठुकरा कर महोब्बत पाई जाती है """

(See the caption )

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18 SEP 2020 AT 21:48

वक्त बे- वक्त उठाई कलम...
स्याही से ज्यादा ...
वो तड़प से भरी थी....
जज्बातों के अलफ़ाज़ बन...
बिखर गई ,पंन्नो पर....
मानों किसी अपने से...
मिलने की बैचेनी ....
उसमें भी भरी थी.....

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8 AUG 2020 AT 17:27

खरीद नहीं ....
पाओगे....
कोहीनूर...
देकर भी....
चाहतों की ....
दुनिया में...
मुस्कुराहटें ...
अनमोल होतीं हैं

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7 AUG 2020 AT 11:44

जिंदगी की....
किताब पर...
दिखावे का कवर...
कितना भी मंहगा ...
चढ़ा लो.....
अगर अंदर ...
इंसानियत के...
पंन्नें फटे है...
तो वो किताब ....
रद्दी में ही जाएगी....

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