जिंदगी की जदोजहद में...
कहीं रख कर भूल गया हूँ खुद को,
याद नही आखरी कब मिला था ख़ुद से,
याद नही कब दिन बीते, ना जाने कितनी रातें बेज़ार हुई,
आशियाने की तलाश ने ताउम्र यायावर रहा,
ना इख्लास है ना उसकी इत्यजा है अब
क्योंकि ये सब बहुत पीछे छोड़ आया हूँ मैं।
जिंदगी की जदोजहद में...
कहीं रख कर भूल गया हूँ खुद को।
-