बड़े बड़ाई ना करैं , बड़ो न बोले बोल ।
‘रहिमन’ हीरा कब कहै, लाख टका मम मोल ॥
Sant rahim das ji
साँच को आँच नहीं
जो जैसा है, दिख जाए
वाणी और व्यवहार ही
इंसान का मोल बताए
भरा हुआ है ज्ञान से
वो इंसान कभी ना इतराये
आधा आधा ज्ञान है जिसको
उसकी गगरी छलकत जाए
जो पुरूष उत्तम प्रकृति का
वो खुद में प्यार समाये
क्या बताए मोल वो अपना
पारखी खुद ही जान जाए-
'रहिमन' वहां न जाइये, जहां कपट को हेत।
हम तो ढारत ढेकुली, सींचत अपनो खेत॥
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रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार,
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार !-
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय।
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पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन.
अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछे कौन..!!-
रहिमन धागा प्रेम का , मत तोरो चटकाय ।।
टूटे पे फिर ना जुरे , जुरे गाँठ परी जाय ।।-
रहिमन डेटा राखिये 🤳 💬
डेटा बिन सब सून 🤙
इसी भरोसे कटी अप्रैल ✌️
इसी भरोसे कटे मई जून 🤘
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In childhood, we all read;
"रहिमन धागा प्रेम का मत तोडो चटकाय
टूटे से फिर ना जुरे,जुरे गाँठ पड़ जाए ।"
Now,we all can feel that.-
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय.
अर्थ : रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है।।
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छल कपट के लम्पट ही, आगे करते कूच !
सारे झूठे फिर रहे, ताने अपनी मूँछ !!-