यादें, साँस ओर धड़कन, क्या क्या नही हो तुम मेरे ।
धधकती हुई उस आग की चिंगारी हो तुम मेरे ।
पास रहना या दूर रहना तो बस एक इत्तेफ़ाक है,
शाहजहां का मुमताज से बजूद हो तुम मेरे ।
रात फिर नींद फिर सपने, क्या क्या नही हो तुम मेरे ।
आँख फिर आँसू या हो कोई राज,
दिल फिर धड़कन फिर मायुसी हर कोई बात हो तुम मेरे ।
हैं इश्क़ तो क़भी बयां न कर,
पानी हूँ मैं, पूछता रहता हूँ हर मछ्ली को जैसे!
प्यार फिर मोहब्बत फिर तड़फ फिर उदासी या हो कोई मुसकान,
हर एक सबाल का जबाब हो तुम मेरे ।
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