"हर कोई "मुझे" जिंदगी जीने का तरीका" बताता है,
"उन्हें" कैसे समझाऊँ की "कुछ ख्वाब अधुरे" हैं वर्ना जीना मुझे भी आता है।
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Student of English literature
Nothing special .. मैं भी लिखना चाहता हूं
💔💔💔
मैंने देखा है लोगों को अक्सर शिकायतें करते, शिकायतें मैं भी बहुत करता हूं,
लोग हस हस कर मरते है, मैं रो रो कर जीता हूं,
यूं तो हर शख्स यहां पर समझदार है, पर मैं आवारगी में रहता हूं।।-
मुझे तारीखे याद नहीं रहती, बस कुछ शख्स याद रहते है, कुछ चहेरे, कुछ पल और कुछ मुलाकाते याद रह जाती है...
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मैं थककर सो जाता हूँ अपने ही सपनों में खो जाता हूँ,
सपने महज सपने नहीं है उम्मीद है एक आस है,
जब तक किसी मुकाम पर नहीं है हम ना कोई अपना है ना कोई खास है,
बहुत बार बैठा हूं अकेला तब जाना है मैने बहुत दूर है वो जो पास है,
निराशा है अंधेरा है यूं लगता है वर्षों की कोई प्यास है,
मैं, मेरी किताबें और एक कमरा है पर निकला नहीं हूँ अभी भी सफ़र की तालाश है,
अकेले ही चलना है गुमनाम रास्तों पर जहां मांगों तो धूप नहीं यूं बिन मौसम की बरसात है,
पर चलना है मंजिल की ओर तभी सुनाई देती किसी के कदमों की आहट है,
आंख खुलती है अचानक से पर....
सपने महज सपने नहीं है उम्मीद है एक आस है।।-
रात कहां से तू आती है, गमों की सौगात जो लाती है,
तुम कहा समझती हो बिछड़ने का दर्द, जब याद किसी की आती है रूह तक पीस जाती है,
अब और दर्द छुपाए नहीं जाते, यूं चहरे पर हसीं के फरेब लाए नहीं जाते,
महफ़िल में भी तन्हा तन्हा होते है, अकेले से अब गीत दर्द भरे गाए नहीं जाते,
मैं भी चाहता हूं सुकून से जीना, पर कुछ चेहरे कुछ लम्हें भुलाए नहीं जाते।-
मोहब्बत आजमाती है न जाने कैसे कैसे मंज़र दिखलाती है
कोई खेल जाए जिस्म से किसी को फर्क नहीं पड़ता
जब बात रुह की आती है तो न जाने कितनी बंदिशें ये लगाती है,
टूट कर कैसे चाहना है जो नहीं मिलेगा उसे भी पाना है, मोहब्बत सब सिखाती है,
रातों को रोना गिर कर फिर से खड़ा होना किसी दुसरे शख्स में खुद को खोना, मोहब्बत सब सिखाती है,
ये मोहब्बत सबको आजमाती है, दर्द में भी मुस्कुराना सिखाती है, मोहब्बत सबको आजमाती है....-
आखिर उसने कह दिया वो खुश है किसी और के साथ,
यहीं तक था जो भी था अपना और बिखर गए मेरे जज़्बात,
यूं तो मैं भी उसे छोड़ सकता हूं मोहब्बत से पहले दोस्ती है, कैसे उसका दिल तोड़ सकता हूं,
हालत रांझणा के कुंदन जैसी है फिर से दिल लगाने की तमन्ना नहीं बस अजीब सी खामोशी है,
दिल यूं ही टुटेगा जज़्बात बिखरेंगे दोस्ती मोहब्बत एक उलझन है किसी रोज़ हम भी निखरेंगे।।-
कहां रह गए हम वादा करके हमेशा साथ चलने का
न जाने क्यों अब थक गए है कदम,
न मैं ग़लत हूं ना तुमने धोखा दिया है, ये तो कुछ लोग है जो अपनी दोस्ती पर सवाल उठाने का मौका दिया,
कोई प्यार करने का सोचे भी कैसे जब यहां दोस्ती पर बंदिश है,
जब भी कोई किसी को दिल में बसा ले, समाज की न जाने उससे कैसी रंजिश है,
कोई किसी का हाथ थामना चाहे उस पर लाख सवाल है,
यूं न जाने हर रोज कितनी अस्मत लुटती है बस यही समाज के ठेकेदारों का हाल है।।
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ऐसी रातों में दर्द भरी बातों में, हम टुटे ख्वाब बुनते है,
जो लम्हे कभी आने ही नहीं, न जाने क्यों अपने लिए ग़म खुद ही चुनते है,
हज़ारों शख्स है यूं तो दिल लगाने को पर जो नसीब में नहीं है उसे पाने की धुन में है,
दिल की चाहत या यूं कहें कि रूह को राहत दर्द में मिलती है,
जब खुद को खोना हो कितने ही दिल तोड़ कर न जाने
कितनो को छोड़ कर जिसे पा नहीं सकते नजरों में वही तस्वीरें बसती है,
और जब गमों की सौगात आंसुओं की बरसात होती है बस तभी ऐसी रात होती है जिससे दर्द भरी बात होती है।।
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ये शाम भी अजीब है न जाने कैसी ये तहज़ीब है,
ये शाम भी तन्हा है उदास है, तु नहीं है साथ मेरे
पर सुकुन है एक दर्द है मीठा सा पर दिल मेरा मेरे पास है,
शाम नहीं है बहुत सी यादें है, हां बस यादें ही है, बाकी जिंदगी कटती काश में है,
ये शाम है रोशनी किसी नई तलाश में है, अब ग़म भरी रात पास में है,
रात तो गमों की सौगात है खुशियां उनको जिनके नसीब है,
ये शाम भी अजीब है......-