Deepak Goyal Poetry...   (Deepak V Goyal)
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I can convert the feelings into words
मोहब्बत की तलाश यहां ख़त्म होती है!
Joined 9 January 2019


I can convert the feelings into words
मोहब्बत की तलाश यहां ख़त्म होती है!
Joined 9 January 2019
25 APR AT 9:40

(हास्य व्यंग)
मोहब्बत दिखती है उसकी दिखाने से
अब वो सीख गई किसी के सिखाने से
बे-कीमती वफ़ा उसने ठुकराई कि वो
अपने भी तोहफ़े ले गई मिरे ठिकाने से

कि वो नूर-ए-हया कमबख्त बे-गैरत है
सदियों का इश्क ठुकराया ये हैरत है
मैं लुट गया कोई और दिल लगाले न
चीख चीख कर कहूंगा मैं जमाने से

बड़े बड़े मैं बोल यूं ही बोल देता था
मैं उससे सारे राज़ अपने खोल देता है
अब जो आलम है हादसा सा लगता है
मां बोली अब क्या होगा मुंह में दही जमाने से

दिल जला हूं मैं अब खुद को खुद ही संभालूंगा
मैं अगले साल में UPSC निकालूंगा
अपने रकीब को रखूंगा नाइट ड्यूटी पर
वो कल भी थी और रहेगी मेरे सहारे पे

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25 APR AT 8:55

पांव तले जमीं रखना
जिंदगी एक दम मुलायम सी गुजरेगी
आंखों में अदब और बातों में नमी रखना

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23 APR AT 10:25

"जय सियाराम"
।। हनुमान जन्मोत्सव की बधाईयां ।।
जय बजरंगी जय हनुमाना
रुद्र रूप जय जय बलवाना
पवनसुत जय राम दुलारे
संकट मोचन सिय मातु के प्यारे
जय वज्रकाय जय राम केरू दासा
हृदय करतु सियाराम निवासा
न जानहु नाथ तोहे कस गोहराई
राम भक्त तोहे राम दुहाई
विनती सुनहु लाज रखहु हमारी
काज कौन जो तुम पर भारी
अष्टसिद्धि नवनिधि केरू भूपा
बखानहु कस विशाल अति रूपा
धर्म रक्षक जय भक्त हितकारी
सुन लीजे अब अरज हमारी
भूत प्रेत हरहु नाथ बाधा
सन्तापहि अब लाघहु साधा
मान मोर अब हाथ तुम्हारे
करहु कृपा अंजनी के प्यारे
बन्दतु सौरभ दास सुनहु पुकारी
मंगल करहु हे मंगलकारी
- सौरभ मिश्र हिंद

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22 APR AT 15:43

जिंदगी भर नहीं उतरेगा नशा
तुम आंखों से पिला कर देखो
एक निवाले में पेट भर जाएगा
अपने हाथों से खिला कर देखो

ये जो जुल्फें गिरी है चेहरे पर
देखो शाम हो चली है शहर में
दिन निकल आयेगा पल भर में
तुम ज़रा खिलखिला कर देखो

तुम नहीं मालूम कि तुम
खुदा के खानदान से हो जां
मुर्दा भी उठ जायेगा
तुम ज़रा हिला कर देखो

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19 APR AT 10:51

हस्तियां होती मैंने, ख़ाक देखी है
जिंदगी मैंने एक दम, साफ़ देखी है

देखा है गौर से, गुरूर को ताकत को
फिर दोनों की एक दिन, मैंने राख देखी है

तुमने कहा सावन में, ये दर्द निपट जायेंगे
मैंने हरे भरे पेड़ पर भी, सूखी शाख देखी है

देखा है ईमानदारी को, मैंने सर झुकाते हुए
और इन बेईमानों की ऊंची, मैंने नाक देखी है

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18 APR AT 15:30

जिंदगी को लिख रहे है, उंगलियों से रेत पर
उल्टे लेते खाट पर, अपने गांव में खेत पर

हम शहर सा लव नहीं जानते, हम करते है सच्ची मोहब्बत
हम छत छत पर ही मिल लेते है, नहीं जाते कही डेट पर

तभी हमारे लाज शर्म, आज भी घर घर बस्ती है
मिल रही है शहर की शक्सियत , अर्धनंग हो इंटरनेट पर

हम मिल बांट कर खाते है, कोई गांव में भूखा मरता नहीं
हम मरते नहीं लात कभी, आजीवन किसी के पेट पर

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18 APR AT 15:12

ये वहम तुम दिल से निकालो
जान! तुम गलतफहमी न पालो
हमारे हर सफर में टिकट 2 कटते है
एक सीट पर हम दूसरी पर तुम्हारी यादें रखते है

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17 APR AT 17:54

ये आंखे जिनमे समंदर भी डूब जाए
ये होंट जिनको देख गुलाब भी शर्मा जाए
और ये बाल कि सियाह रात जैसे हो
मैं तुमको छू लू तो बुरा मत मानना!!

ये बलिया जैसे सितारे टंगे हो
ये लाली जैसे शाम का रंग हो
ये खुशबू जैसे जन्नत की हवा हो
तुमको गले लगा लू तो बुरा मत मानना!!

ये हथेलियां जिनमे मुकद्दर है मेरा
ये पायल जिसमे सुकून है मेरा
ये बाहें जिनमे राहत है चाहत है
मैं तुमको चूम लू तो बुरा मत मानना!!

ये आवाज जो ज़ेहन तक जाती हो
ये तुम्हारी तस्वीर जो दिल धड़कती हो
ये मुस्कुराहट जो बहारों से अच्छी हो
मैं तुमको अपना बना लू तो बुरा मत मानना!!

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17 APR AT 16:51

Calling...

मैं : कहां हो तुम, दिखाई नहीं दे रही हो
वो : मैं निकल गई
मैं : क्यूं?
वो : भैया साथ आए थे छोड़ने
मैं : मिलना न होता कम से कम देख तो लेता
वो : यही डर था तभी निकली
मैं : मतलब
वो : तुम एक बार देखना शुरू कर दो
तो फिर कही और नहीं देखते हो

फिर दोनो साथ में बहुत तेज हस्ते है!!

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17 APR AT 16:06

Your younger brother is going
to complain about your class test!

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