Ashok Mangal   (आवेश हिंदुस्तानी)
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Joined 21 September 2021


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Joined 21 September 2021
16 AUG AT 15:33

चोरी का है राज पाठ, और सीना जोरी का ठाठ बाठ !
बच्चों-बूड़ों को काटे कुत्ते, सूझबूझ की होत न बात !!

उलझाये रखने के लिये ही सर्वोच्च का भी ले लेत साथ !
कुत्तों पे भी बांट दी जनता, हो न सके इक स्वर में बात !!

वोट चोरी के नेता करे खुलासे, जनता आयी सड़कों पर !
सत्ता ने दो कानून लाद दिये आनन-फानन संसद भीतर !!

विश्वयुद्ध-3, महामारी या आपदा का हुआ पास कानून सख्त !
ठनठन पाल हो दुःखी होगी जनता, सब कुछ हो सकता ज़ब्त !!

डाटा का नया कानून जन निजता पर डाले डाका !
सारे सोशल अकाउंट खंगालें अब आयकर काका !!

हे राम, हे कृष्ण ! ऐसे में कैसे मने जनहित जश्न !!

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9 AUG AT 8:01

कृपया ध्यान दीजिये !

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9 AUG AT 7:55

ऐतिहासिक धरोहरों का हो गर सही रख रखाव ।
दुनिया को दिख सकेगा भारत का सही इतिहास ।।
अफ़सोस नेताओं की सोच में ही नहीं देश का विकास !
उनको तो सराबोर किये रहता निजी स्वार्थ का एहसास !!

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6 AUG AT 19:03

राजनीतिज्ञों के चंगुल में हम फंस के रह जाते हैं !
कौन सगा कौन दगा देगा, ये समझ ही न पाते हैं !!

बार बार चुनावों में चोर डाकू माफ़िया चुन लाते हैं !
उन्हीं से किया वादा निभाने की झूठी आस लगाते हैं !!

नोट लेके वोट देने काचलन, आजकल आम हो गया !
मत खरीदने वाले को हमसे जनकोष नीलाम हो गया !!

एक करोड़ लगाने वाला, सौ करोड़ वसूलता है !
डाक्टररी के लिये लाखों नहीं करोड़ों लगता है !!

ऐसे डाक्टर, इलाज को दस गुना महँगा कर देते हैं !
मरीजों का, परिजनों का जीना दूभर ही कर देते हैं !!

पहली कक्षा से ही शिक्षण फीस लाखों पार कर जाती है !
सरकारी स्कूलों को बंद करने की साज़िशें रची जाती है !!

लाखों स्कूलों को बंद करने की खबरें दिनरात डराती है !
सरकार ज्यादातर जनता को अनपढ ही रखना चाहती है !!

धर्म की अफीम चटा, अंधविश्वास अंधभक्ति बढ़ाती है !
भोली भाली ही नहीं पढ़ीलिखी जनता भी फंसती जाती है !!

हे राम, हे कृष्ण !
ऐसे में कैसे मने, जनहित का जश्न !!

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5 AUG AT 5:44

डाकू का उल्टा होता है कूड़ा !
आज के अग्रज भी है कूड़ा !!

डाकू अमीरों का छीन गरीबों में बांटते फिरते थे !
अग्रज गरीबों का छीन अमीरों को बांटते फिरते हैं !!

हे राम, हे कृष्ण !
ऐसे में कैसे मने, जनहित का जश्न !!

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2 AUG AT 23:03

जिन हाथों में सत्ता है अब, इसके वो क़ाबिल नहीं !
जनहित ज्योत जलाने का हरगिज़ उनका दिल नहीं !!

सारा धन सारी दौलत, यारों के हवाले ही कर रहे !
जनता त्राहि-त्राहि करती कैसे इनके ज़ुल्म सहे !!

बैंकों में रक़म जमा भी, सुरक्षित है सिर्फ़ पाँच लाख !
करोड़ों में मेडिकल प्रवेश, महज फीस भी तीस लाख !!

इतनी महँगी पढ़ाई है, आमजन की हैसियत से बाहर !
मांग तांग के पढ़ ले कोई, अक्सर रह जाता बेरोजगार !!

मध्यम वर्ग की ल़डकियों को पढ़ने भेजते शहरों में !
सिगरेट फूंकती दिखती सारी, बड़े शहरों की सड़कों पे !!

जुए सट्टे की लत लगाने नामचीन हस्तियों में होड़ लगी !
तुरंत लगाई जाये रोक इनपे, सत्ता की ऐसी मंशा नहीं !!

भाड़ में जाये ऐसे युवक-युवती, जो शादीपूर्व ही जुड़े रहते !
संतान सुख से वंचित रहते, क्यूंकि शादी चालीसी में करते !!

सत्ता आपके वोटों की मोहताज़ न रही अब !
जीतने की व्यवस्था में हेराफेरी सर्वोपरी अब !!

ऐसी सत्ता से मुक्ति सिवा, जनहित ज्योत नहीं जलेगी !
चुप्पी साधे रखने पर मृतप्राय सी जिन्दगी ही मिलेगी !!

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2 AUG AT 5:35

नेता पग पग पल पल डरा धमका रहे हैं !
हम गुलामी के आगोश को ललचा रहें हैं !!
ललकारा जिन्होंने गुलामी में फिरंगियों को,
उनके बलिदानों पे हम मिट्टी डाल रहे हैं !!

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2 AUG AT 5:29

जिसे आपके वक़्त की कदर नहीं, उससे भी मुँह न मोड़े !
वो नासमझ है, उसे समझा बुझा, उसकी सोच को मोड़े !!

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2 AUG AT 5:16

बक्से के बाहर ज़मीनी सच है !
उसे समझने सुधारने के प्रयास में ही
जीवन का असली रस है !!

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2 AUG AT 5:12

पढ़ना मुश्किल कर रहे है, कमाना मुश्किल कर रहें हैं !
सारे के सारे हिन्दुस्तान को भिकारी बनाने मचल रहे हैं !!

बावजूद कोई कोई जो फिर भी कमा के खा पा रहा है !
उसकी कमाई हड़पने सट्टे जुए नशे के प्रपंच रच रहे हैं !!

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